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प्रकृति से सीधा साक्षात्कार कराती हैं वर्मा की कविताएं

CityWeb News
Monday, 24 February 2020 06:38 PM
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-अनिल वर्मा के अंग्रेजी कविताओं के पांचवे संग्रह का लोकार्पण
सिटीवेब/एसएल कश्यप।
सहारनपुर। जैन कॉलेज में अंग्रेजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और अंग्रेजी के सुप्रसिद्ध कवि डॉ. अनिल वर्मा के पांचवें काव्य संग्रह ‘नॉस्टेल्जियारू ए ग्लिम ऑफ डिस्टैंट डे’ का लोकार्पण यहां एक समारोह में शिक्षाविद्ों एवं साहित्यकारों ने किया। यह पुस्तक बचपन की यादों, प्रकृति के अद्भुत बिम्बों और मंा की ममता को एक साथ पिरोकर लिखी गयी कविता का अनुपम संग्रह है।
रचनाकार डॉ. अनिल वर्मा ने पुस्तक की भावभूमि पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए टाइटल कविता सहित अनेक कविताओं का अनुवाद सहित पाठ करते हुए अपनी स्वर्गीय मॉं को श्रद्धांजलि स्वरुप यह पुस्तक समर्पित की। इस बीच उन्होंने संचालक एवं शिक्षाविद् डॉ. वीरेन्द्र शर्मा ‘शम्मी’ के जिज्ञासा भरे अनेक प्रश्नों का भी उत्तर दिया। अध्यक्षता करते हुए डॉ. विष्णुकांत शुक्ल ने कहा कि डॉ. वर्मा की कविताएं सयास नहीं अनायास हृदय से निकली हैं। उन्होंने भावनाओं को कविताओं में पिरोया है। मुख्य अतिथि एवं शिक्षाविद् डॉ. ए के गुप्ता व डॉ.जी सी पचैरी ने कहा कि डॉ.वर्मा ने अपनी संवेदनाओं से विद्ववता को सिंचित किया है। उनकी उपलब्धियां अकथनीय,अवर्णीय और अविश्वसनीय हैं।
मुख्य वक्ता,साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र आजम ने लोकार्पित पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ.वर्मा उत्तर भारत के अंग्रेजी के ऐसे अकेले रचनाकार हैं जिन्होंने ‘मॉ’ पर ही सैकड़ों कविताएं लिखी है। ‘मां’ हमेशा उनकी अंतश्चेतना में विराजमान रहती है और वहीं उनके लेखन की प्रेरणा भी है। उनकी रचनाएं प्रकृति से सीधा साक्षात्कार कराती है। उनमें प्रकृति के सूक्ष्म अन्वेषण की दृष्टि भी है और समझ भी।कवि अपनी रचनाओं में चिड़ियाओं के साथ चहकता और फूलों के साथ महकता है, वह चंाद की चांदनी में मां की ममता को देखता है तो रश्मियों से ऊर्जा लेता है।
बैंगलोर से आये विशिष्ट अतिथि एवं शिक्षाविद् डॉ.रमेश दत्त शर्मा ने अनिल वर्मा के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है। जिन्दगी में जो आदमी से छूट जाता है और उसके बाद जो बचता है, उसे जीने की कला अनिल वर्मा जानते हैं। उनकी रचनाओं में उनकी अपनी तन्हाईयां है, उनका दर्द है।
पूर्व विधायक वीरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि डॉ.वर्मा ने जो जिया है वहीं उनकी रचनाओं में है। डॉ.शशि नौटियाल ने कहा कि उनके भीतर आज भी एक बच्चा जिन्दा है। डॉ.ज्योति ने कहा कि जीवन की आपाधापी में रिश्तों से कैसे बंधकर रहा जाता है ये डा.वर्मा से सीखा जा सकता है। डॉ.वंदना ने लोकार्पण समारोह को ‘सृजन उत्सव’ की संज्ञा दी। इस अवसर पर पुस्तक के प्रकाशक योगेश शर्मा को सम्मानित भी किया गया। इसके अलावा डॉ.सीमा चैधरी,डॉ.शुभ्रा चतुर्वेदी, डॉ. इन्दु शर्मा, डॉ. अजय शर्मा, डॉ.ममता सिंघल, डॉ. अनुपमा बंसल आदि ने भी संबोधित किया। समारोह में डॉ.रामशब्द सिंह, डॉ.मैनी,डॉ.विनोद कुमार,डॉ.हरवीर सिंह,डॉ.पूनम शर्मा, के पी सैनी एडवोकेट, राजीव गुप्ता एडवोकेट, अतुल गौरव, प्रकाश सैनी व भानु सहित अनेक गणमान्य लोग शामिल रहे। संचालन डॉ. वीरेन्द्र शर्मा ‘शम्मी’ ने किया।

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