नई दिल्ली(27 नवंबर): दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर ट्रेनों की रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाने में करीब 11 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके जरिए यात्री इन दोनों शहरों के बीच की दूरी को दो घंटे में पूरी कर सकेंगे। फ्रेंच रेलवे, एसएनसीएफ द्वारा भारतीय रेलवे को सौंपी गई अंतिम मसौदा रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
- 245 किलोमीटर लंबा दिल्ली-चंडीगढ़ कॉरिडोर उत्तर भारत के सबसे व्यस्त रूटों में से एक है। इस पर भारतीय रेलवे की फ्रांसीसी कंपनी के सहयोग से देश की पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन, जिसमें अधिकतम गति 200 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी, को चलाने की योजना है। सोमवार को भारतीय रेलवे 1,700 पन्नों की इस विस्तृत रिपोर्ट को अंतिम रूप देगी। इसके बाद निविदा वाले दस्तावेज तैयार किये जाएंगे और आगे के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों के जनवरी 2018 में भारत आने की उम्मीद है। उसी समय परियोजना औपचारिक रूप से लॉन्च की जाएगी। रेल विभाग अगले साल एसएनसीएफ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा, जिसमें रेलवे क्षेत्र में सहयोग के दायरे का विस्तार होगा। साथ ही उसमें अर्ध-उच्च गति वाली ट्रेनों के चालकों की ट्रेनिंग और रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा और बचाव भी शामिल होंगे।
- रिपोर्ट के मुताबिक, पानीपत और अंबाला में दो स्टॉपेज के साथ 200 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से कुल यात्रा का समय 2 घंटे और 2 मिनट हो जाएगा। वर्तमान में, शताब्दी एक्सप्रेस 110 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से लगभग 3 घंटे और 30 मिनट में इस दूरी को पूरा करती है।
- रिपोर्ट में कुल अनुमानित लागत 11,218 करोड़ रुपये आंकी गई है जिसमें सिग्नल अपग्रेड, मुख्य सिविल वर्क्स और रोलिंग स्टॉक शामिल हैं। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारी रिपोर्ट की जांच करेंगे और सोमवार को चर्चा के बाद अंतिम लागत पर फैसला किया जाएगा। वर्तमान में दिल्ली-चंडीगढ़ रेल मार्ग पर 32.7 किमी से अधिक के करीब 20 प्रमुख घुमाव हैं जिनका पुनर्निर्माण किया जाएगा।
- हालांकि, फिर से निर्माण के लिए किसी नई भूमि का कोई अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। दिल्ली-चंडीगढ़ के अलावा, मुंबई-गोवा, चेन्नै-हैदराबाद, मैसूर-चेन्नै, दिल्ली-कानपुर और नागपुर-सिकंदराबाद सहित लगभग 4,000 किलोमीटर के कुल 7 रेल मार्गों में सुधार किया जाना है।