सहारनपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा बीएससोढी ने बताया कि नेशनल वैक्टर बोर्न डिजीज कन्ट्रोल प्रोग्राम के अर्न्तगत डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि की रोकथाम हेतुु 26 से 30 मार्च 2019 तक टीबी सेनेटोरियम हॉल सहारनपुर में एक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें श्रीमती शिवॉका गौड जिला मलेरिया अधिकारी सहारनपुर, धर्मेन्द्र पाल सिंह मलेरिया निरीक्षक, मनोज कौशिक मलेरिया निरीक्षक आदि द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसमें ब्लॉक स्तर से आशा, आशा संगिनी, को प्रशिक्षण दिया गया। श्रीमती शिवॉका गौड जिला मलेरिया अधिकारी सहारनपुर द्वारा प्रशिक्षण में मलेरिया ,डेंगू, चिकनगुनिया आदि से बचाव एव रोकथाम हेतु जानकारी दी गयी। आशाओं को अपने-अपने क्षेत्र में रक्त पटिट्काये बनाये जाने के लिये उन्हे प्रशिक्षण दिया। जिससे उनके क्षेत्र में बुखार के प्रकार का पता लग सके। उस क्षेत्र में कार्यवाही की जा सके। आशाओं को जानकारी की दी गयी कि वे अपने-अपने क्षेत्र में भ्रमण कर घर-घर जाकर पानी से भरे बर्तन जैसे कूलर, गमले, छतो पर रखे पुराने टायर, फ्रिज की टेऊ आदि जिनमें एक सप्ताह से ज्यादा पानी रूका रहता है उन्हे खाली कराये क्योकि इन्ही बर्तनों में एडिज लार्वा प्रजनन करता है। डेंगू की रोकथाम हेतु विशेष तौर पर कूलरों में पानी भरने से पहले अच्छी तरह उसकों रगडकर साफ किया जाये जिससे डेंगू फैलाने वाले मच्छर एडिज का विगत वर्ष का अण्डा मर जाये क्योकि यह अण्डा एक साल तक कूलरों में जमा रहता है व पानी के सम्पर्क में आने पर यह एडिज मच्छर बन जाता है। जोकि डेंगू रोग फैला सकता है। ग्राम स्तर पर साफ-सफाई, हाथ धोना, शौचालय की सफाई तथा घर से जल निकासी हेतु जन-जागरण के लिये प्रचार प्रसार, प्रधान वीएचएसएनसी के माध्यम से संचारी रोगों तथा वैक्टर जनित रोगों की रोकथाम हेतु 'क्या करें क्या न करें' का सधन प्रचार-प्रसार किया जायेगा। आशा, आशा संगिनी को निर्देशित किया गया है कि उनके क्षेत्र में किसी घर व सरकारी जगह पर पानी रूका हुआ पाया जाता है तो मकान मालिक का नोटिस काटे जाये। जिनको नोटिस दिये जाये वही पर तीन दिन बाद दोबारा पहुॅच कर निरीक्षण किया जाये। अगर उन स्थानों पर लार्वा पाया गया तो भारतीय दण्ड सहिता की धारा 188 के तहत पॉंच हजार रुपए तक का जुमार्ना वसूल कर जिला कोषागार में जमा किया जायेगा। अन्त में डा बीएससोढी मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा सभी आशाओं व आशा संगिनियों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रक्त पटिट्काये बनाये । जिससे बुखार का पता चल सके।