देवबंद। राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति द्वारा इसको मंजूरी दिए जाने के मामले पर जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि यह बिल मुसलमानों के हक में नहीं है। इसमें हजारों खामियां हैं। केंद्र सरकार ने इसे जबरन लागू करके शरीयत में खुली दखलअंदाजी की है। शनिवार को कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम की अपील के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे की राष्ट्रपति इस मसले में कुछ बोलेंगे जरुर। लेकिन उन्होंने इसको मंजूरी देकर मुसलमानों को मायूस करने का काम किया। कहा कि यह बिल मुस्लिम महिलाओं के हक में नहीं है। इसके पास होने से मुसलमानों के साथ नाइंसाफी हुई है और उनसे संविधान से मिले हक को बिल के रुप में छीन लिया गया है। जिससे उलमा और मुसलमानों को तकलीफ हुई है वह अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कारी इस्हाक गोरा ने सरकार के लोगों से सवाल करते हुए कहा कि यदि कोई तीन तलाक देता है उसको तीन साल की सजा होने पर उसकी पत्नी और बच्चों की देखभाल उनके खाने पीने का खर्च कौन करेगा? इसका जवाब सरकार ने आज तक नहीं दिया है। इसी प्रकार बिल के अंदर हजारों खामियां हैं जिन्हें दूर किए बिना ही इसे पास कराया गया। उन्होंने कहा कि तीन तलाक बिल पास हो गया है। मुल्क संविधान से चलता है इसी लिए मुसलमानों से अपील की जाती है कि वह अपनी हर लड़ाई को कानून के दायरे में रह कर लड़ें। किसी भी तरह कानून को अपने हाथ में न लें।