नई दिल्ली(10 अक्टूबर): इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी बोर्ड ऑफ इंडिया ने नियमों में बदलाव करते हुए यह दर्शाना अनिवार्य कर दिया है कि किसी कंपनी के रेजॉलुशन प्लान में सभी पक्षों के हितों का ध्यान कैसे रखा जाएगा। इसको लेकर पिछले हफ्ते नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया।
- इस संशोधन से यह सुनिश्चित होगा कि बैंक और लोने देनेवाले अन्य संस्थान कार्रवाई से प्रभावित दूसरे स्टेकहोल्डर्स के हितों की शर्त पर अपने हित नहीं साधकर नहीं बच सकते। बैंक क्रेडिटर्स कमिटी का हिस्सा होते हैं जिनकी किसी कंपनी के बैंकरप्ट होने के प्रक्रिया में महत्वपूर्ण नीति-निर्माता की भूमिका होती है।
- पिछले साल अस्तित्व में आया नया कानून रेजॉलुशन प्रोसेस को 180 दिनों में निपटाने की व्यवस्था करता है जिसमें अधिकतम 90 दिनों की बढ़ोतरी हो सकती है।
- इस प्रक्रिया में इनसॉल्वंसी रेजॉलुशन प्रफेशनलों की नियुक्ति की जाती है जिनपर कंपनी के संचालन और योजना निर्माण की जिम्मेदीरी होती है। कानून के तहत अगर क्रेडिटर्स कमिटी की सहमति हो तो वह दूसरी कंपनियों से आवेदन मंगवा सकती है जो इन्फर्मेशन मेमोरेंडम फाइनलाइज करने के बाद रेजॉलुशन प्रोसेस से गुजर रही कंपनी का टेक ओवर करने का इच्छुक हो।