आधुनिकता दौर में कम हो रहा दीयों का प्रकाश
सहारनपुर। आधुनिकता के दौर में दीये बनाने वाले कारीगरों के लिए दीपावली के दीये भी उनके भविष्य को प्रकाशमय नहीं कर पा रहे है। मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगर इन दिनों काफी परेशानी वाला जीवन जीने को मजबूर हैं।
पहले जहां दीवाली पर्व आते ही इनके परिवार वालों के चेहरों पर रौनक आ जाती थी, वहीं अब आधुनिक तकनीक से आ रहे इलैक्ट्रोनिक सामान ने इनका कारोबार पूरी तरह चैपट करके रख दिया है। दीपावली पर हर साल दीये की मांग घटती जा रही है। कुम्हारों के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने खुद मिट्टी के दियो को इस्तेमाल करने की अपील की है। वंही उत्तर प्रदेश सरकार ने भी आदेश जारी कर माटी से बने समान व दियों को बनाने व बेचने पर विशेष लाभ दिए जाने की बात कही है। चाइनीज लाइट की जगह मिट्टी के दियांे के प्रयोग को इस दीपावली पर बढ़ावा देने को कहा है। लेकिन आधुनिकता की दौड़ में अब लोग मिट्टी के बने दीये नाममात्र ही खरीदते हैं। मिट्टी से बना दीया केवल गरीब आदमी की चैखट तक ही सीमित रह गया है। दीवाली में फेंसी लाइट्स से कुम्हारों के कारोबार पर दोहरी मार पड़ रही है। हर दीवाली पर वह जितनी बिक्री की उम्मीद करते हैं तो वो कमाई उसके आधी भी नहीं कर पाते हैं।