एसएल कश्यप।
सहारनपुर। साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आस्था का प्रतीक जाहरवीर गोगा महाराज की म्हाडी का मेला रविवार से शुरू हो रहा है। जाहरवीर गोगा महाराज की म्हाडी पर चढ़ने वाले रंग बिरंगे निशान की अस्थायी दुकाने लग चुकी हैं। सभी वर्गाें के लाखों लोग हर साल म्हाडी स्थल पर माथा टेक मन्नते मांगते हैं। कहते हैं कि सच्ची श्रद्धा से मानी जाने वाली हर मुराद यहां पूरी होती है।
प्रत्येक वर्ष शुद्धि दशमी के दिन शुरू होने वाले दिन दिवसीय मेले में लाखों लोग पहुंचते हैं। मेले में आसपास के जिलों के अतिरक्त दूसरे प्रदेशों से भी श्रद्धालुगण प्रसाद व निशान चढ़ाकर अपनी मन्नते मांगते हैं। म्हाडी के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि करीब 700 वर्ष पूर्व जाहरवीर गोगा जी महाराज हरिद्वार से स्नान कर लौट रहे थे। जब वह म्हाडी स्थल के करीब पहुंचे तो कबली नामक व्यक्ति जोहड़ से मछलियां पकड़ रहा था। मछलियां पकड़ने से मना करने पर कबली ने बताया कि वह मछलियां बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करता है। महाराज के कहने पर जब कबली ने मछलियांे वाले झोले में देखा तो उसमें काले रंग के सांप नजर आये। वह इसे देख घबरा गया और महाराज के पास हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। महाराज के दोबारा झोला देखने को कहे जाने पर देखा कि उसमें मछलियां थी। कबली महाराज के सामने नतमस्तक हो गया। बोला, जैसा आप कहेंगे, वैसा ही होगा। गोगा महाराज ने कबली को अपना भाला थमाते हुए कहा कि वह नगर व गांव गांव पैदल जाकर उसके संदेश का प्रचार करे। गोगा महाराज ने कहा कि प्रत्येक वर्ष भादो माह शुक्ल पक्ष की शुद्धि दशमी के दिन एक बड़ा मेला लगा करेगा। मेले में आकर जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माथा टेकेगा, उसकी मुराद पूरी होगी। आदेश का पालन करते हुए कबली को जाहरवीर गोगा द्वारा दिया गया भाला, नेजा के नाम से पूजा जाने लगा। रविवार से शुरू हो रहे म्हाड़ी मेले को लेकर प्रशासन ने भी कमर कस ली है। साफ सफाई व सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजात किये गये हैं। भारी भीड़ को देखते हुए रूट डायवर्जन किया गया है।