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शिशुओं की सेहत का रखें खास ध्यान, बनी रहेगी मुस्कान

CityWeb News
Wednesday, 20 November 2019 04:39 PM
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एक वर्ष तक के बच्चों को लगाया जाएगा टीका
सिटीवेब/एसएल कश्यप।
सहारनपुर। सहारनपुर। नवजात शिशुओं की सेहत पर खास ख्याल रखने की जरूरत होती है ताकि उनका जीवन खुशहाल बन सके। नवजात की उचित देखभाल और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को 21 नवंबर तक नवजात शिशु देखभााल सप्ताह मनाया जा रहा है। इसमें कंगारू मदर केयर व स्तनपान को बढ़ावा देने तथा बीमार शिशुओं की पहचान कर उचित इलाज पर जोर दिया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक पंकज कुमार ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है। इस सप्ताह की शुरुआत गत 14 नवंबर (बाल दिवस) को हुई थी। इसके तहत कहा गया है कि प्रसव सरकारी अस्पताल में ही कराएं, शिशु को 48 घंटे अस्पताल में रखा जाए ताकि उनमें किसी भी तरह की दिक्कत की निगरानी की जा सके। । आशा को जन्म से एक वर्ष तक के सभी शिशुओं को टीके लगवाने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई आशा टीके लगवाने में लापरवाही करती हैं, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।प्रमुख अधीक्षका डा.अनिता जोशी ने बताया कि नवजात शिशु देखभाल सप्ताह में जनपद एवं ब्लाक स्तर पर वर्कशॉप, हैल्दी बेबी शो व प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.एके चैधरी व डा.वीके भट्ट का कहना है कि बच्चे के शुरू के एक हजार दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान गर्भवती और बच्चे के खानपान का पूरा ध्यान रखना चाहिए। बच्चे को जन्म के पहले घंटे में मां का दूध अवश्य पिलाएं, क्योंकि यह बच्चे का पहला टीका होता है। छ्ह माह का होने के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ पूरक आहार भी देना शुरू करना चाहिए ताकि उसका समुचित मानसिक और शारीरिक विकास हो सके।
एक हजार में 41 नवजात की हो जाती है मृत्यु
भारत सरकार द्वारा जारी (एसआरएस-2017 ) की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में एक हजार में से 43 नवजात की मृत्यु हो जाती है। इनमें से 3ध्4 शिशुओं की मृत्यु जन्म के पहले महीने में ही हो जाती है। जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान और छह माह तक केवल मां का दूध दिए जाने से शिशु मृत्यु दर में 20 से 22 फीसद तक की कमी लाई जा सकती है। सभी नवजात शिशुओं में बीमारी के जोखिम को कम करने और उनके समुचित विकास के लिए देखभाल की आवश्यकता होती है। जन्म के समय बच्चे की मूलभूत जरूरत वात्सल्यध्मां की गरमाहट, सामान्य श्वास, मां का दूध और संक्रमण की रोकथाम है। ये मूलभूत जरूरतें दशार्ती हैं कि बच्चे की उत्तरजीविता पूरी तरह से उसकी मां और अन्य देखभाल करने वालों पर निर्भर है। इसलिए जन्म के तुरंत बाद सभी शिशुओं को उचित देखभाल प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

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