सिटीवेब/अरविंद सिसौदिया।
नानौता। होली के दिन रंग लगाना आम बात है। इस दिन कोई बूरा माने तो मानें पर जिसे रंग लगाना है वों तो लगाकर ही मानता है। रंगों और उमंगों के इस त्यौहार की तैयंारियों में जुटे लोग मौज मस्ती करें लेकिन थोडा संभलकर। क्यांेकि आप पर कोई गुलाल या रंग डाल रहा हो या खुद ही आप किसी को रंग लगाने के मूड में हो। हो सकता है कि आपका ही कोई परिचित जो रंग लाया हो उसमें रसायन भरा हो। वह रंग आपकी सेहत के लिए भारी पड सकता है। इसीलिए होली तो जरूर खेलें लेकिन कुछ सर्तकता के साथ। पक्के रंगों के चक्कर में युवा और बच्चें अक्सर खतरनाक रसायन युक्त गुलाल भी ले आते है। जिसके लगने से शरीर में खुजली, जलन या फिर जख्म तक पड जाता है। एमपीएम शिमलाना इंटर कालिज के प्रधानाचार्य नेत्रपाल सिंह चैहान का कहना है कि होली पर प्रयुक्त होने वाले जिन रंगो की पीएच लेवल सात से कम होता है। तो इन रंगो में सबसे अधिक कांच का चूरा सेहत को नुकसान पंहुचाता है। उनका कहना है कि ऐसे रंगो की जगह फूलों से बने रंग, रंगीन सुगंधित रगं ही इस्तेमाल करने की सलाह दी है। सीएचसी प्रभारी अमित कुमार के अनुसार होली के बाद त्वचा रोगियो की संख्या बढ जाती है। इससे बचने के लिए ईको फ्रेंडली रंगो का इस्तेमाल करें। गुलाल में कोई चमकीला पदार्थ न हो। क्योंकि वह अभ्रक होने के साथ नुकसान पहंुचा सकता है। साथ ही छोटे बच्चों पर किसी भी रंग के प्रयोग से बचने की सलाह भी दी है। क्योंकि छोटे बच्चों की त्वचा अधिक कोमल होती है।
रंगों से त्वचा पर पडने वाले दुष्प्रभाव -
रेड आक्साइड - यह रंग अधिकांशतः हर रंगो में प्रयुक्त होता है। मुंह और नाक के द्वारा शरीर के अंदर प्रवेश होने से अल्सर और कैंसर जैसे रोगो की संभावना बनती है।
एसिडिक केमिकल - इस रंगों के कारण शरीर में खाज खुजली जैसे दुष्प्रभाव के अलावा त्वचा में जलन भी हो जाती है।
सिलिका - इस केमिकल का दुष्प्रभाव सबसे अधिक चेहरे को नुकसान देता है। जिसके चलते जख्म व चेहरा छिल सा जाता है।
कांच का चूरा - गुलाब में कांच का बारीक चूरा मिलाया जाता है। यह कांच का चूरा चेहरे को नुकसान पंहुचाने के साथ साथ आंखो को भी खतरे में डाल देता है।
इरिटंेड कांटेक्ट डर्मेटाइटिस - कलर के हैवी मैटल्स जैसे एसिड, वार्निश, तारकोल, आॅइपेंट त्वचा को जलाते है। जिससे सफेद-काले धब्बे पडते हैं।
एलर्जिक कांटेक्ट डर्मेटाइटिस - रंग के सपंर्क में आने से सेंसेटिव व साॅफ्ट स्किन पर लाल रंग के चकते उभर जाते है। और जलन शुरू हो जाती है।
फोटोएलर्जिक कांटेक्ट डर्मेटाइटिस - स्किन पर लगे रंग जब सूर्य की किरणें पडती है। तो त्वचा लाल हो जाती है। और स्किन की परत निकलने लगती है।