सिटीवेब/एसएल कश्यप।
सहारनपुर। विवेकानंद जन्मदिवस पर राष्ट्रीय युवा समारोह श्रृंखला का मुख्य आयोजन आज बेरी बाग स्थित मोक्षायतन अंतरराष्ट्रीय योग आश्रम में वैदिक यज्ञ, स्वाभिमान की प्रतीक विवेकानंद शैली की पगड़ी पहने साधकों द्वारा वेदांत व योग चर्चा तथा स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत साइकिल यात्रा के साथ मनाया गया। सवेरे से ही भारी कोहरा होने के बावजूद केसरिया बाने में नेशन बिल्डर्स अकेडमी के नन्हे बच्चे, महिलाएं, युवा व बड़ी उम्र के साधकों का उत्साह देखने लायक था।
मौजूद जनसमूह को संबोधित करते हुए योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने स्वामी विवेकानंद के अनेक संस्मरण सुनाए जिन्होंने उनके जीवन को गहराई से छुआ। उन्होंने कहा कि महापुरुषों की प्रशंसा करते रहने से अधिक महत्वपूर्ण है उनका अनुसरण करना। 18 वीं शताब्दी में पश्चिमी देशों को अपने तप, तेजस्विता , ज्ञान व जादुई संबोधन से भारतीय संस्कृति व आध्यात्म के रंग में रंग लेने वाले स्वामी विवेकानंद का जीवन और शिक्षा आज के भारतीय समाज के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण है, हम भारतीयों को उनके जीवन से राष्ट्रीय अस्मिता और स्वाभिमान का पाठ सीखना होगा।उन्होंने कहा कि अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए देश की एकता अखंडता और अस्मिता को दांव पर लगा देने वाले लोगों से चैकस रहते हुए देश के स्वाभिमान और संस्कृति को मजबूती दे कर ही हम मजबूत रह सकते हैं। योगगुरु ने आज की जनी वाली साइकिल यात्रा का भी जिक्र किया और कहा कि स्कूलों में बच्चों के लिए साइकिल में पदयात्रा को बढ़ावा देकर हम बच्चों को स्वास्थ्य सुरक्षा देने के साथ-साथ पैसे पेट्रोल व पर्यावरण तीनों की बचत कर सकते हैं और स्वामी विवेकानंद के सपनों की मजबूत वे जिम्मेदार नई पीढ़ी बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं। वरिष्ठ साधक ललित वर्मा ने स्वामी जी की चारित्रिक ऊंचाई का उदाहरण देते हुए एक अमेरिकी युवती द्वारा उन जैसा तेजस्वी पुत्र पाने की इच्छा से उनके साथ विवाह के प्रस्ताव का जिक्र करते हुए बताया कि विवेकानंद जी ने तत्परता से उस युवती से कहा कि विवाह के बाद मुझ जैसी संतान मिलने में संदेह हो सकता है, क्यों ना आप मुझे ही पुत्र के रूप में स्वीकार कर लें। ऐसी घटनाओं से विवेकानंद की चारित्रिक ऊंचाई और संकल्प की दृढ़ता का पता चलता है। साधक अरविंद शर्मा ने भी विवेकानंद जी से जुड़े उनकी हाजिर जवाबी और गहरे ज्ञान से संबधित अनेक प्रेरक प्रसंग मौजू साधकों के मार्गदर्शन के लिए सुनाएं और बताया कि किस प्रकार हिंदू धर्म की सहिष्णुता, उदारता, वेदांत, योग और गीता का संदेश उन्होंने पश्चिमी देशों को दिया। आश्रम के सचिव एनके शर्मा ने बताया कि गुरु भारत भूषण जी नई पीढ़ी में बढ़ती आराम तलबी व सुविधा भोगी प्रवृत्ति के कारण बच्चों में पनप रहे रोगों व प्रतिरोधक क्षमता की कमी चिंता का विषय मानते हैं जिसके कारण उन्हें बेडौल थुलथुलेेपन और कमजोरी व नेगेटिविटी से बचाने के लिए योगाभ्यास, व्यायाम व श्रम शीलता का रास्ता देना होगा। तभी विवेकानंद व दयानंद जैसे तेजस्वी बलिष्ठ व प्रखर बुद्धि पीढ़ी का निर्माण होना है। इसकी पहल करते हुए आज आश्रम के साधकों व नेशन बिल्डर्स अकेडमी के बच्चों ने बेरी बाग, मंगल नगर, बाजोरिया हस्पताल, देहरादून रोड, रेमांउट डिपो व जेल रोड होते हुए गुरु भारत भूषण के साथ साइकिल यात्रा भी की। इस यात्रा में साइकिलों पर लगी साइकिल चलाने से मिलने वाले अच्छी सेहत, पेट्रोल बचत, पर्यावरण शुद्धि व उंच नीच का भेद मिटाने जैसे फायदे के स्लोगन्स की पट्टियां बड़ा संदेश दे रही थी। आयोजन में मुख्यतरू राष्ट्र वंदना प्रकल्प प्रमुख विद्यार्णव शर्मा, अकेडमी की डायरेक्टर इष्ट शर्मा, डॉ अशोक गुप्ता, डॉ सुदर्शन नागपाल, डा आर के यादव, डा पूनम शर्मा, डा सतीश चावला, विजेंद्र शर्मा, अनीता शर्मा, आचार्या सीमा गुप्ता, देवेंद्र बंसल, अमरनाथ, अमिताभ वर्मा, विशाल गुलाटी, राकेश जैन, विजय सुखीजा, अक्षत जैन, सुरभि सेठी, ललित वाधवा, पीयूष खेड़ा आदि समेत बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।