सहारनपुर। जैन समाज का छह दिवसीय वार्षिक गजरथ महोत्सव वीरवार को रथयात्रा के साथ प्रारम्भ हो गया। चंद्रनगर स्थित जैन मंदिर से वार्षिक गजरथ महोत्सव का शुभारंभ किया गया। रथयात्रा में सबसे आगे जैन धर्म की पताका, जैनत्व के दर्शन को दर्शाता स्वर्णमंडित अ¨हसा परमो धर्म का बैनर लिए युवक चल रहे थे। वहीं धर्मचक्र और उसके पीछे गूंज रही ढोल की थाप यात्रा के आगमन की सूचना दे रही थी। मधुर शहनाई की धुन हर किसी का मन मोह रही थी। आठ घोड़ों पर बैठे युवक यात्रा की भव्यता का परिचय करा रहे थे। धार्मिक भावना के साथ ही सामाजिक कुरीतियों पर कटाक्ष करती हुई कई झांकियां शामिल रही। लुधियाना, यमुनानगर, दिल्ली, मीरापुर, मेरठ के बैंड की धुनें छम-छम बाजे घुंघुरू, सुनो जिनवाणी, बाहुबलि भगवान का महामस्तका अभिषेक, आदि पर श्रद्वालु झूम रहे थे। महिलाएं करतल ध्वनि के साथ भजन गुनगुना रही थी। मधुर धुने बिखेर रहे थे। वहीं डांडिया पार्टी ने सभी को नृत्य करने के लिए बाध्य कर दिया। यात्रा के अंत में सबसे पीछे स्वर्ण मंडित श्रीजी का रथ चल रहा था। श्रीजी के रथ के आगे श्रद्वालुजन भक्ति भाव के साथ श्रीजी की स्तुति कर रहे थे। महिलाओं और पुरूषों समेत बच्चों ने भी इस अवसर पर श्रीजी के रथ के आगे नृत्य कर अपने भक्ति भाव प्रकट किये। कई स्थानों पर श्रद्वालुओं द्वारा श्रीजी की आरती करने की होड लगी रही। शोभायात्रा मुख्य बाजारों से होते हुए जैन बाग स्थित जैन मन्दिर पहुंची। जहां श्वेत एवं पीताम्बर वस्त्रों से सुसज्जित इंद्रों ने श्रीजी का जलाभिषेक किया। गजरथ महोत्सव के मुख्य संयोजक डा.एके जैन ने बताया कि 13 वर्ष बाद चंद्र नगर मंदिर समिति को यह मौका मिला है। इसकी भव्यता को लेकर अनेक प्रयास किये गये हैं। इसके लिए उन्होंने जैन समाज के अध्यक्ष राजेश जैन का धन्यवाद किया।