सिटीवेब/एसएल कश्यप।
सहारनपुर। आठ नवम्बर को देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जगने वाले हैं और इसके साथ ही चतुर्मास व्रत भी समाप्त होने वाला है। शास्त्रों के अनुसार चतुर्मास में विवाह, जनेऊ, मुंडल जैसे संस्कार नहंी करने चाहिए क्योंकि इन शुभ कार्याें पर भगवान का आर्शीवाद नहीं होता। वहीं जब शुक्र और गुरू अस्त होते हैं तो उस दौरान भी ये शुभ काम नहीं होने चाहिए। विवाह आदि शुभ कर्म मलमास के दौरान यानि जब सूर्य धनु और मीन राशि में हों तो भी नहीं करना चाहिए। आठ नवम्बर को जब भगवान जगें तो चतुर्मास समाप्त होने के साथ ही शुक्र और गुरू भी शुभ स्थिति में रहेंगे। सूर्य तुला राशि में रहेगा और विवाह का शुभ मुहूर्त आरम्भ हो जाएगा। देवप्रबोधनी को देवउठानी एकादशी भी कहते हैं। आठ नवम्बर से 16 दिसम्बर को सूर्य के मीन राशि में प्रवेश होने तक विवाह के नौ दिन बेहद शुभ हैं। इसके बाद जनवरी में मकर संक्राति के बाद विवाह तिथियों का आरम्भ होगा। नवम्बर में 8,9,14,22,24 व 30 तारीख शुभ हैं। दिसम्बर में 1, 5 व 11 दिसम्बर की तिथियों शुभ रहेंगी।