सिटीेवेब/एसएल कश्यप।
सहारनपुर। सिक्खों के नौवे गुरू व हिन्दू धर्म के रक्षक गुरू तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर पंजाबी एकता समिति के तत्वावधान में गोष्ठी का आयोजन किया गया। अम्बाला रोड स्थित एक होटल के सभागार में समिति द्वारा गुरू तेग बहादुर हिन्द की चादर गोष्ठी का आयोजन कर गुरू तेग बहादुर के जीवन के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बुद्धिजीवीयों ने कहा कि गुरू गोविंद सिंह जब 9 वर्ष के थे, उनके पिता गुरू तेग बहादुर के दरबार में कश्मीरी पंडित पहुंच और उन्होंने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए गुरू से विनती की। इसके बाद जब गुरूतेग बहादुर को शहीद करने से पहले कू्रर शासकों ने उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया और प्रलोभन दिया, लेकिन गुरू तेग बहादुर उनके आगे नहीं झुके और उन्होंने तीन सिक्ख भाई सती दारू, भाई मति दारू, भाई दिआला को बहुत निर्दयी ढंग से शहीद कर दिया। तीनों ने गुरबाणी का पाठ करते हुए अपना बलिदान दे दिया। तत्पश्चात गुरू तेग बहादुर को चांदनी चैक पर शहीद किया गया। उसके बाद धर्म परिवर्तन का सिलसिला धीरे-धीरे समाप्त हुआ और सिक्खों ने गुरू गोविंद सिंह और उनके सिक्खों ने जालिमों से युद्ध किया। गोष्ठी में गुरूद्वारा सिंह सभा के प्रचारक ज्ञानी कुलदीप सिंह, एमपी सिंह चावला, राजीव फुटेला, डॉ.केके खन्ना, सन्नी परूथी, बब्बू, भानू, अजय, अमित, सौरभ, गौरव, गुरजीत मल्होत्रा, अनिल बोबी, आदर्श भंडारी, विवेक चावला, नवनीत अरोड़ा, रमणीक सिंह, प्रदीप भडारी, दीपक अरोड़ा आदि मौजूद रहे।