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बेमिसालः मां-बाप ने कराए ब्रेनडेड बेटी के अंगदान, 4 लोगों को मिली नई जिंदगी

CityWeb News
Friday, 03 February 2017 12:21 PM
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23 साल की नौजवान लड़की की जिंदादिली लोगों के लिए मिसाल बन गई। मां-बाप ने अपनी ब्रेनडेड बेटी के अंगदान कराकर 4 लोगों को नई जिंदगी दी। इस जिंदादिल लड़की का नाम था, जीरकपुर की रहने वाली प्रियंका जैन। जब तक जिंदा थीं, दूसरों को अंगदान और रक्तदान के लिए जागरूक किया, जब मौत हुई तो चार लोगों को जाते-जाते जिंदगी दे गईं। रोड एक्सीडेंट के बाद प्रियंका पीजीआई में दाखिल हुई थी।
ब्रेन डेड होने के बाद वीरवार सुबह उसे कार्डियक अरेस्ट आ गया। परिजनों ने बेटी की आखिरी ख्वाहिश को पूरा करने में जरा देरी नहीं की। परिजनों की सहमति के बाद पीजीआई ने उसकी किडनी और कोर्निया सफलतापूर्वक निकाल लिया। किडनी दो पेशेंट में ट्रांसप्लांट भी कर दी गई, जबकि कोर्निया को संभालकर रख दिया गया है। कोर्निया दो मरीजों में लगाया जा सकता है।
प्रियंका अंग और रक्तदान अभियान से जुड़ी थी। श्री शिव कांवड़ महासंघ चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रेसिडेंट राकेश संगर ने बताया कि प्रियंका उनकी सबसे मेहनती और कर्मठ वालंटियर थी। एक भी कैंप वह मिस नहीं करती थी। उसका काम लोगों को अंगदान और रक्तदान के लिए प्रेरित करना था। बिना किसी स्वार्थ के वह हर कैंप में आती और अपना पूरा समय देती थी। उसका शुरू से ही सामाजिक कार्यों के प्रति लगाव था।
इस तरह हई थी हादसे का शिकार
जीरकपुर में रहने वाली प्रियंका अपनी सहेलियों से मिलने गोवा गई थी। जब वह 27 जनवरी को गोवा से पुणे वापस लौट रही थी, तभी सतार जिले के पास कैब ड्राइवर से गाड़ी अनियंत्रित हो गई और रोड की डिवाइडिंग पर लगे लोहे की रेलिंग से टकरा गई। इससे प्रियंका बुरी तरह से घायल हो गई।
परिजनों को सूचना मिलते ही वे पुणे पहुंचे और उसे एंबुलेंस से लेकर 27 जनवरी को पीजीआई पहुंचे। दो फरवरी सुबह उसे कार्डियक अरेस्ट आ गया। कार्डियक अरेस्ट के बाद अंगों को निकालना आसान नहीं होता, लेकिन ट्रांसप्लांट सर्जरी के एचओडी डॉ. आशीष शर्मा के नेतृत्व में टीम ने किडनी और कोर्निया को सुरक्षित निकाल लिया और दो लोगों में किडनी ट्रांसप्लांट कर दी गई।
इससे डायलिसिस पर जीने के लिए मजबूर लोगों को नई जिंदगी मिल गई है, जबकि कोर्निया को संभाल कर रख लिया गया है, जिसे बाद में ट्रांसप्लांट कर दिया जाएगा। पीजीआई रोटो के नोडल अफसर डॉ. विपिन कौशल ने कहा कि जो दूसरों के लिए जीते हैं और मरते वक्त भी दूसरों की मदद करते हैं वही हमारे रियल हीरो होते हैं।
मरकर भी दिया मानवता का संदेश
पीजीआई रोटो के नोडल ऑफिसर डॉ. विपिन कौशल बताते हैं कि प्रियंका मरीजों और मानवता की सेवा में लगी रही। न खुद अपने आॅर्गन डोनेट करने की विल पीजीआई को दी, बल्कि लोगों को भी कैंपों में प्रेरित किया। प्रियंका ने चार लोगों को जिंदगी दी है।
प्रियंका की दो किडनियां और दो कोर्निया देकर लोगों को जीते जी अपने ऑर्गन डोनेट करने का संदेश दिया है। ताकि अगर किसी भी अनहोनी होने पर दूसरों की जिंदगियां बचाई जा सकें। डॉ. कौशल बताते हैं कि प्रियंका के हार्ट और लिवर को ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सका। लेकिन प्रियंका ने मरकर भी लोगों में अंगों को डोनेट करने का संदेश दिया है।
प्रियंका की किस्मत में कुछ और ही था...
जीरकपुर के रहने वाले भूपेंद्र जैन की तीन बेटियां और एक बेटा है। प्रियंका की बड़ी बहन आशिमा बताती हैं कि हमने न सिर्फ अपनी बहन बल्कि परिवार की लाइफलाइन को खोया है। इस घड़ी में शब्दों में अपने दुखों को जाहिर नहीं किया जा सकता। प्रियंका ने दुनिया के सामने बहुत ही कम उम्र में मिसाल कायम की है। उम्मीद है कि और लोग भी इस तरह आगे आकर अपने आॅर्गन डोनेट करने का साहस दिखाएंगे।

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