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हर माह 10 तारीख को मनेगा ग्रामीण पोषण दिवस

CityWeb News
Tuesday, 05 November 2019 04:54 PM
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जनपद के हर आंगनबाड़ी केंद्रों पर होंगे हेल्दी बेबी शो
सिटीवेब/एसएल कश्यप।
सहारनपुर। गर्भवती स्वस्थ रहेगी तो पैदा होने वाला शिशु भी स्वस्थ होगा। इसके लिए आवश्यक है कि गर्भ में आने से लेकर दो साल की अवधि यानि पहले हजार दिन के दौरान बच्चे के पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाये। इसी उद्देश्य से बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से जनपद के 3430 आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रत्येक माह की 10 तारीख को ग्रामीण पोषण दिवस के आयोजन का निर्णय लिया गया है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा त्रिपाठी ने बताया- कुपोषण का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु व उसके जीवन के पहले दो वर्षों पर सबसे अधिक पड़ता है। इसके बाद प्रयास करने पर भी कुपोषण को दूर करना कठिन हो जाता है। गर्भ में आने से लेकर जीवन के पहले दो साल की अवधि अर्थात जीवन के पहले 1,000 दिन पोषण की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह अवधि बच्चों के सुपोषित भविष्य की नींव रखने का सुनहरा अवसर प्रदान करती है। इसके लिए आवश्यक है कि समाज और परिवार में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को संतुलित व पौष्टिक आहार देने के प्रति जागरूकता बढ़े। इस संबंध में राज्य पोषण मिशन की महानिदेशक मोनिका एस. गर्ग ने प्रदेश के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र जारी कर हर माह की 10 तारीख को ग्रामीण पोषण दिवस के आयोजन का निर्देश दिया है। पोषण दिवस पर केंद्र पर आने वाली गर्भवती महिलाओं, बच्चों और उनके परिवार वालों के बीच ऊपरी पूरक आहार पर चर्चा, स्वस्थ बच्चा-बच्ची प्रतियोगिता (हेल्दी बेबी शो), स्वस्थ मां प्रतियोगिता के साथ-साथ आठ माह पूर्ण कर चुकी गर्भवती व 6 माह से ऊपर वाली धात्री माताओं के लिए मानक के बारे में लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। ग्रामीण पोषण दिवस के दिन ही केंद्रों पर मातृ समिति की बैठक होगी, जिसमें केंद्र पर चिन्हित कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम सभा महिला सदस्य एवं मातृ समिति सदस्यों के बीच परिचर्चा होगी। उन्होंने कहा कि उक्त दिवस को जिले में सफलतापूर्वक संचालित कराए जाने के लिए समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) व प्रभारियों को पत्र भेजकर सूचित कर दिया गया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा त्रिपाठी ने बताया छह माह के बाद बच्चों को ऊपरी आहार देने की शुरुआत करनी चाहिए। इसके साथ यह भी आवश्यक है कि जो भोजन दे रहे हैं, वह पौष्टिक हो। जैसे-जैसे बच्चे की आयु बढ़ती जाए, भोजन की निरंतरता और मात्रा का ध्यान देना चाहिए। बच्चे के भोजन में उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेड, वसा, प्रोटीन, रेशेयुक्त पदार्थ व सूक्ष्म पोषक तत्व की समुचित मात्रा होनी चाहिए। भोजन आकर्षक भी दिखना चाहिए। माता को यह ध्यान देना चाहिए कि भोजन करते वक्त बच्चा मोबाइल अथवा टीवी न देख रहा हो। ऊपरी आहार में घर में उपलब्ध स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों जैसे दाल, चावल, केला, आलू, हरी पत्तेदार सब्जियां, पीले फल तथा सूजी जरूरी होता है। ऊपरी आहार देते समय बच्चों को कहानी सुनानी चाहिए। इससे रोचकता बढ़ती है और बच्चे भर पेट भोजन कर लेते हैं।

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