तारीक सिद्दीकी
रामपुर मनिहारान। प्रधानमन्त्री आवास योजना रामपुर मनिहारान में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। इस योजना के तहत कब्रिस्तान में मकान बनवाए जाने पर नगर में तरह तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। गरीबों को छत देने के लिए बनाई गयी लाभकारी प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत रामपुर मनिहारान में काफी मकान बनाए जा चुके हैं और काफी बन रहे हैं।साथ ही बहुत से नये आवेदन नगर पँचायत को मिल रहे हैं। लेकिन अब इस योजना में भृष्टाचार की बू आने लगी है।नानोता रोड स्थित सहकारी समिति के पास स्थित कब्रिस्तान में एक मकान इस योजना के तहत पास कर दिया गया जिसमें निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया।कब्रिस्तान के मुतवल्ली व अन्य लोगों द्वारा विरोध जताने और कोतवाली में तहरीर देने बाद यह मामला हाई लाईट हुआ।पुलिस मौके पर पहुँची थी और एक व्यक्ति को पकड़ कर कोतवाली भी ले गयी थी।
सवाल ये है कि प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत कब्रिस्तान में मकान कैसे पास कर दिया गया। इस बारे में नगर पंचायत अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने उस मकान के आवेदन को अपात्रता की सूची में डाल दिया था। अब यदि नगर पँचायत के अधिकारी सही कह रहे हैं तो फिर मकान किसने पास किया और किस आधार पर किया। प्रधानमन्त्री आवास योजना में पात्रता के लिए बनाए गए शर्तों को किस तरह और किसने पूरा किया। क्या मकान बनने से पहले जियो टैग की गयी और यदि की गयी तो किसने की और किस आधार पर की जबकि नगर पँचायत द्वारा अपात्र घोषित किया जा चुका था। क्या आवेदक से सम्पत्ति के मालिकाना हक की जानकारी नही ली गयी थी। सूत्रों से पता चला है कि नगर पंचायत द्वारा डीपीआर बनायी जाती है उसके बाद उस लिस्ट को डूडा में भेज दिया जाता है उसके बाद डूडा कर्मचारी जियो टैग करते हैं और उसके बाद भवन निर्माण के लिए पैसा जारी कर दिया जाता है।इसमें सवाल ये है कि इतनी लम्बी प्रक्रिया होने के बावजूद गलत मकान कैसे बन सकता है। केवल यही कब्रिस्तान का मामला ही नही अब कुछ और लोग भी सामने आए हैं जिनका कहना है कि नगर में और भी कई जगह साँठगाँठ करके प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत मकान बनवाए गए हैं। यदि यह बात सही है तो फिर यह जाँच का विषय है कि कितने मकान अवैध तरीके से बनवाए गए हैं और इसमें कौन कौन शामिल हैं।