सहारनपुर। विकास खंड गंगोह के कोलाखेड़ी गांव की कविता ठेठ गृहिणी हैं। चूल्हे-चैके से बावस्ता रहती हैं, लेकिन, उनमें जबर्दस्त सेवा भाव है। कर्तव्य के प्रति निष्ठावान हैं। एक तरह से कविता की कहानी में इंसानियत का कार्यक्रम है। वह हैं तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किंतु दायित्व के प्रति दीवानगी ने उन्हें चर्चा में ला दिया है। इलाके में जुबां-जुबां पर उनका नाम लिया जाने लगा है। दरअसल, यह सब यूं ही नहीं है। कविता कुपोषित बच्चों की बेहतरी और उनकी सेहत को लेकर संजीदा रहती हैं। अब तब तक करीब एक दर्जन से ज्यादा कुपोषित बच्चों को उन्होंने एक तरह से पुनर्जीवन दिलाया है। गांव कोलाखेड़ी की कविता यहां के आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता हैं। वह केंद्र पर आने वाले बच्चों की सेहत के प्रति सचेत रहती हैं। यही नहीं, वह गांवों का लगातार भ्रमण करती हैं। जो बच्चे कुपोषण की काली छाया से ग्रस्त मिलते हैं, कविता उनके परिवार के बड़े-बुजुर्गों से बातचीत करती हैं। उन्हें बताती हैं कि इसका इलाज क्या और क्यों जरूरी है। वह इस संबंध में चल रही सरकार की योजनाओं की भी जानकारी देती हैं । वह स्वच्छता के बारे में भी घर-घर जाकर जानकारी देती हैं। बताती हैं कि अपने घर की साफ- सफाई रखें। हाल ही में उन्होंने दो साल की बच्ची लक्ष्मी को कुपोषण से मुक्त कराया। रुद्र कुमार की बेटी लक्ष्मी 1 साल पहले अत्यंत कुपोषित थी और लाल श्रेणी में गंभीर अवस्था में थी। यह पता चलने पर कविता चैधरी ने बच्चे के घर का बार-बार भ्रमण किया तथा उसके माता-पिता को पोषण के बारे में बताया। उसके खानपान पर जोर दिया। सरकारी सुविधाएं दिलाईं। आखिरकार लक्ष्मी अब स्वस्थ हो गई है। उसका वजन भी बढ़ गया है। लक्ष्मी की मां पिंकी का कहना है कि कविता की बदौलत मेरी बेटी की जिंदगी में बहार आ गई है। यही नहीं, कविता द्वारा उक्त परिवार को आर्थिक तथा सामुदायिक मदद की गई । जब भी आवश्यकता पड़ी अपने साधन से बच्ची को शहर ले जाकर डॉक्टर को दिखाया। इस प्रकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लगातार फॉलोअप के कारण बच्ची गंभीर कुपोषण से सामान्य अवस्था में आ गयी है। केवल लक्ष्मी ही नहीं कविता चैधरी ने अ्ब तक एक दर्जन से ज्यादा बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा त्रिपाठी ने बताया कि कविता के कार्यों से वह खुद बहुत प्रभावित हैं। कविता अन्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं।