एसएल कश्यप।
सहारनपुर। नौनिहालों पर जान छिड़कने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पिंकी शर्मा अब किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। कुपोषण मिटाने को सरकार की ओर से संचालित योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए पिंकी मिसाल बन चुकी हैं। पिंकी अब तक एक दर्जन से भी ज्यादा कुपोषित बच्चों की जान में जान डाल चुकी हैं। दरअसल, पिंकी शर्मा बचपन से ही सेवा भाव में विश्वास रखती रही हैं। आस्थावान होने के साथ पिंकी कुशल गृहिणी भी हैं। वह परिवार का दायित्व निभाते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का कर्तव्य भी बखूबी निभाती हैं। गंगोह विकास खंड क्षेत्र के ग्राम बांसदेई केंद्र की जिम्मेदारी इन्हीं पर है। पोषण माह अभियान में भी वह कुपोषित बच्चों को सुपोषण की घुट्टी पिलाने में जी जान से जुटी हैं। एक ताजा उदाहरण है क्षेत्र के आरिफ का। आरिफ के पिता का नाम काला है। पैदा होने पर आरिफ घोर कुपोषण का शिकार था। यह बात जब पिंकी को पता चली तो वह काला के घर गईं और परिजनों से बातचीत कर बताया कि बच्चे का शारीरिक विकास इस स्थिति में नहीं हो सकता। कुपोषण के शिकार इस बच्चे का वजन बहुत कम था। वह बार-बार फालोअप लेती रहीं। आरिफ की मां को स्तनपान कराने के फायदे बताए। खान-पान में सुपोषित आहार की सलाह दी और अपनी ओर से भी मदद की। आखिरकार, आरिफ का वजन बढ़ने लगा। उन्होंने बसा, प्रोटीनयुक्त खाद्य सामग्री का इंतजाम कराया। अब आरिफ स्वस्थ है। आरिफ ही नहीं कई और बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने में पिंकी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उन्होंने क्षेत्र के करीब एक दर्जन बच्चों को कुपोषण की काली छाया से मुक्त कराया है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा त्रिपाठी कहती हैं कि पिंकी में गजब की लगन है। उनको जैसे ही किसी बच्चे के कुपोषित होने की जानकारी मिलती है, वह दो कदम आगे बढ़कर परिवार वालों से मिलकर इसका निदान कराने में जुट जाती हैं। पिंकी का कहना है कि गांवों में आज भी तमाम लोग भ्रांतियों के शिकार हैं। खासकर, स्तनपान को लेकर। वह इस दिशा में निरंत प्रयास करती हैं। लोगों को जागरूक करती हैं। समय-समय पर गोष्ठियां करती हैं। इसी तरह किशोरियों का वजन कराने, एनीमिक होने पर उन्हें पुष्टाहार उपलब्ध कराने में भी तत्पर रहती हैं। पोषणमाह के तहत उनके उम्दा कार्यों को लेकर जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा त्रिपाठी ने भी पिंकी को सराहा है। बकौल, आशा त्रिपाठी पिंकी को जल्द ही मुख्यालय पर सम्मानित किया जाएगा। क्योंकि वह औरों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं और मिसाल भी। आरिफ के पिता काला पिंकी की तारीफ करते नहीं थकते हैं, उन्होंने कहा कि पिंकी बहन जी ने तो हमारे बच्चे को नया जीवन दिया है। हम उनको कभी नहीं भूल सकते। इसी तरह गांव के अन्य ग्रामीण भी पिंकी की तारीफ करते हैं।