सिटीवेब/अरविंद सिसौदिया
नानौता। कार्तिक मास की पूर्णिमा के अवसर पर नानौता क्षेत्र के ग्राम कुआंखेडा के आखिरी छोर बने गंगा- यमुना के पवित्र संगम पर क्षेत्र व दूरदराज से आये लोगो ने स्नान, दीपदान, हवन, यज्ञ कर पुण्य कमाया। जहां इस बार पूर्णिमा पर गंगनहर व पूर्वी यमुना नहर में पानी न आने से लोगों को परेशानी झेलनी पडी तो वहीं संगम स्थल पर हर बार की तरह प्रशासन की बेरूखी लोगों को जमकर खली।
मंगलवार को पूर्णिमा के अवसर पर संगम स्थल पर इस बार पानी न आने से स्नान करने वाले श्रद्वालुओं को निराशा का सामना करना पडा। संगम स्थल पर मात्र कुछ पानी में पहंुचकर हाथ पैर धोकर ही संतोष कियाा। धार्मिक महत्व के दृष्टिगत काफी संख्या में पहुंचे श्रृद्धालुओं ने मां गंगा की आरती व हर-हर गंगे के जयघोष से सूने संगम स्थल पर मंगल दिखायी दिया। इस दौरान श्रृद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर फूल, दिये और पैसे संगम मंे डालकर प्रवाहित कर सुख समृद्धि की मनोकामना मांगी।
मंदिरो में कार्तिकेय की पूजा हुई -
सुबह से ही महिलाएं श्रृ़द्धालुगणो की लंबी लंबी कतारें मंदिरो में देखी गयी। जहंा पर भगवान कार्तिकेय को तेल से नहलाकर उन्हें प्रसन्न किया गया तथा उनसे मन्नते मांगी गयी। नगर के देवबंद रोड कालौनी, अस्पताल परिसर स्थित, संतोष विहार, गंगोह रोड स्थित नगर के विभिन्न मंदिरो में भारी भीड रही। जहां हवन-पूजन आदि किया गया।
सुविधाओं से श्रृद्धालुगण रहे वंचित-
कुआंखेडा संगम क्षेत्र में करीब 11 वर्ष पूर्व बना तो दूरदराज व क्षेत्रवासियों ने सोचा था कि अब हरिद्धार या इलाहाबाद जाने की आवश्यकता कम रह गयी है। है। लेकिन प्रशासन व सिंचाई विभाग अधिकारियों की बेरूखी का आलम यह है कि आज तक संगम स्थल पर न तो वहां भीषण गर्मी में या फिर कडकडाती सर्दी में बैठने के लिए कोई कमरा या टीनशेड नहीं बनवाया गया और न ही महिला श्रृद्धालुओं के लिए वस्त्र बदलने के लिए कोई इंतजाम ही किये गये है। जिसके चलते महिलाओं की वहां नहाने की दिलचस्पी खत्म हो रही है। और इतना ही नहीं बसों से यात्रा कर संगम पर नहाने आने वाले श्रृद्धालुओं को दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से करीब छह किमी. की दूरी पैदल चलकर पूरी करनी पडती है। तथा वापसी भी पैदल ही करनी पडती है। प्रशासन द्वारा संगम स्थल पर लोगों कोे लाने व लाने वाल वाहनों की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है।
कार्तिक मास अनंत फलदायक -
पं राजेश शर्मा के अनुसार कार्तिक मास बडा पवित्र माना गया है। पदम पुराण के अनुसार कार्तिक मास, धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाला है। कार्तिक पूर्णिमा शरद ऋतु की अंतिम तिथी है इस दिन किए गए स्नान, दान, हवन, यज्ञ व उपासना आदि का अनंत फल प्राप्त होता है।