राकेश ठाकुर।
सहारनपुर। ऐतिहासिक मेला गुघाल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में आयोजित आल इण्डिया मुशायरे में देश के जाने माने शायरों ने अपने अपने कलाम के जरिये जहां देशभक्ति की अलख व तालीम हासिल करने पर जोर दिया।
गांधी पार्क के मैदान पर आई भारी भीड के बीच आल इण्डिया मुशायरे का रिबन काटकर सपा नेता साहिल खान ने उदघाटन किया। तत्पश्चात शमा रोशन सांसद हाजी फजलुर्रहमान, मेयर संजीव वालिया, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य योगेश दहिया, कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष जावेद साबरी, इमरान प्रमुख ने मोमबत्तियां जलाकर शमा रोशन की तभी मुशायरे का आगाज हुआ। सांसद हाजी फजलुर्रहमान की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए मुशायरे की निजामत मशहूर शायर नदीम फरूर्ख ने निभाई। नगर निगम के पार्षद फजलुर्रहमान व हाजी अबूबकर शिब्ली के संयोजन में हुए आल इण्डिया मुशायरे की शुरूआत देश के जाने माने शायर अलताफ जिया ने नबी की शान में नात ए पाक पढकर की। अंतर्राष्ट्रीय शयर जौहर कानपुरी ने पढा ‘हवा जोर कम करना पडेगा, नया किस्सा रकम करना पडेगा, यह मौका जंग करने का नही है, दुआ पढकर दम करना पडेगा। गजल की शायरा शबीना अदीम ने अपना कलाम सुनाते हुए अंधेरे की हर एक साजिश यहां नाकाम हो जाये, उजाले हर तरफ हो, रोशनी का नाम हो जाये, मेरी कोशिश तो नफरत को दिलों से दूर करना है, मेरा मकसद है दुनिया में मौहब्बत आम हो जाये। इंकलाबी शायर हाशिम फिरोजाबादी ने एक के बाद कलाम सुनाते हुए श्रोताओं की खूब दाद लूटी। उन्होने कहा- ‘आलम पनाह और न सुलतान जायेगा, जन्नत सिर्फ साहिबे इमान जायेंगे। भोपाल से आये मशहूर शायर विजय तिवारी ने अपना कलाम सुनाते हुए ‘जब लग जाये जागने अन्दर का शैतान, खुद को कंकर मारकर बन जाना इंसान। निकहत अमरोही का यह कलाम- ‘तेरी चाहत से मैं इनकार नही कर सकती, फिर भी जो हद है वह हद पार नही कर सकती, कैसे मैं छोड दू मां बाप की खिदमत निकहत, अपनी जन्नत को मैं बेकार नही कर सकती। उसमान मिनाई का यह शेर ‘हमारे काम जमाने को याद है अब तक, हमारा नाम बदलने से कुछ नही होगा।
शाहिद अंजुम ने कहा ‘जब तक हम शीशे के घर में रहते थे, गांव के सारे लोग असर में रहते थे, अब इस्लामाबाद भी महफूज नही, अच्छे खासे रामनगर में रहते थे। तरन्नुम के शायर असरार चंदेलवी ने श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटते हुए सुनाया- ‘लिपटकर रो रहे है बेटियों से अपने हालात पर, जो कहते थे वारिस बनेगा बेटा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरते हुए युवा शायर काशिफ रजा ने अपने कलाम के जरिये मौहब्बत का पैगाम देते हुए पढा ‘मैं दिल से लडता मौहब्बत की जंग जीत सकता था, अगर दिमाग से लडता तो हार सकता था। बेहतरीन आवाज की मलिका सबा बलरामपुरी ने तरन्नुम के साथ यह गजल- ‘रंग लायी है दुआ मौजजा हो गया, जो नही था मेरा वह मेरा हो गया। अलतमश अब्बास ने पढा ‘इश्क था इश्क भला कैसे गवारा करते, ये कोई शादी नही थी जो दोबारा करते। मुशायरे की निजाम करते हुए नदीम फर्रूख ने कहा ‘मुझको इंसान ही रहने दे फरिश्ता ना बना, इतनी तारीफ भी मत कर कि मैं पत्थर हो जाऊं। इनके अलावा मीसम गोपालपुरी, सज्जाद झंझट, शादाब आजमी, सूफियान प्रतापगढी, साकिब गंगोही, अफजाल प्रतापगढी, चांद फटापट ने भी अपने कलाम के जरिये श्रोताओं को गुदगुदाया। मुशायरे में बसपा नगराध्यक्ष हाजी फैजानुर्रहमान, डायरेक्टर डा- खुर्शीद आलम, मुगीस अहमद, समाजसेवी औसाफ गुड्डू, मेला चेयरमैन भगत सिंह, पार्षद असमा प्रवीन, हाजी गुलशेर, हाजी इमरान सैफी, नूर आलम, नदीम अंसारी, शाहिद कुरैशी, नौशाद राजा, मौ- आमिर, महमूद हसन, इरफान सागर, मुस्तकीम अंसारी, मंसूर बदर, चन्द्रजीत सिंह निक्कू, रिजवान जोगी, शाहनवाज, आजम शाह, फुरकान अंसारी, चै- अब्दुल वली, चै- मुबारिक, आलिम बख्शी, चै- मुजफ्रफर मुख्य रूप से उपस्थित रहे।