सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिषाचार्य गोतित राजेश पाल ने बताया कि माह आश्विन शुक्ल पक्ष , तृतीया तिथि, दिनांक 1.10.2019, संवत 2076, दिन मंगलवार, नक्षत्र स्वाति योग, अग्निवास पृथ्वी पर, अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट, तृतीया तिथि में मां दुर्गा के तीसरे स्वरुप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता शरीर सोने की तरह चमकीला होता है। माता के गले में माला शोभित है। 10 हाथ हैं जिनमें 8 हाथों में शस्त्र, धनुष बाण ,तलवार, त्रिशूल, गदा कमल चक्र आदि हैं। दो हाथ साधक को आशीर्वाद देने के लिए हैं। मां चंद्रघंटा की सवारी बाघ है। मां के घंटे की धमनी से सभी दुष्ट दैत्य, दानव व राक्षस कांप उठते हैं। माता का यह रूप सदैव युद्ध के लिए तैयार रहता है। माता का यह रूप शांति दायक व कल्याणकारी है। इस दिन साधक ध्यान मणिपुर चक्र यानि नाभि के पीछे भाग मैं केंद्रित करता है। इस दिन अनेक ध्वनि सुनाई देती और अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। मां की कृपा से सब पाप वह बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। इस देवी की साधना से साधक पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। मां की साधना का शुभ मुहूर्त 13 बजकर 55 मिनट तक है। अभिजीत मुहूर्त में पूजा का अत्यंत शुभ काल है। मां चंद्रघंटा का कारक ग्रह मंगल है। मां पर इस दिन लाल फूल, सेब, गुड आदि से मां का भोग लगाएं। दुर्गा सप्तशती का श्रद्धा और नियम से व्रत रखकर के पाठ करें।