हिमांशु बजाज
आपको शायद ही पता हो कि भारत में एसी बोगी वाली ट्रेन आज के दिन ही 91 साल पहले दौड़ी थी। यह ट्रेन आज भी पटरियों पर दौड़ रही है और लोगों को उनकी मंजिलों तक पहुंचा रही है। हालांकि अब इसका नाम बदल गया है लेकिन पुरानी शान कायम है। देश की एसी बोगी वाली यह थी ट्रेन फ्रंटियर मेल । इस ट्रेन ने अपना सफर 1 सितंबर 1928 को शुरू किया था और इसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी यात्राएं की थीं। ट्रेन में अनोखी एसी बोगी होती थी। बोगी को ठंडा रखने के लिए इसमें बर्फ की सिल्लियां रखी जाती थीं। फ्रंटियर मेल मुंबई से अफगान बार्डर पेशावर तक की लंबी दूरी तय करती थी। यह ट्रेन स्वंतत्रता आंदोलन की गवाह रही है। अंग्रेज अफसरों के अलावा यह आजादी के दीवानों को भी उनकी मंजिल तक पहुंचाती थी। फ्रंटियर मेल ने अपना सफर 1 सितंबर 1928 को मुंबई के बल्लार्ड पियर मोल रेलवे स्टेशन से अफगान बार्डर पेशावर तक शुरू की थी। 1 सितंबर को इस रेलगाड़ी के 91 साल पूरे हो जाएंगे। यह ट्रेन मुंबई से पेशावर तक 2335 किलोमीटर लंबी यात्रा को 72 घंटों में पूरा करती थी। इसकी सबसे बड़ी खूबी थी कि यह कभी लेट नहीं चलती थी। आजादी के बाद यह ट्रेन अमृतसर और मुंबई के बीच 1896 किलोमीटर की दूरी तय कर रही है। यह दूरी तय करने में इसे करीब 32 घंटे लगते हैं। मुंबई से पेशावर तक इस रेलगाड़ी के चलने के कारण ही इसका नाम फ्रंटियर मेल पड़ा था। फ्रंटियर मेल का नाम 1996 में बदलकर गोल्डन टेंपल मेल (स्वर्ण मंदिर मेल) कर दिया गया। उस समय भले ही इंटरनेट का जमाना नहीं था, लेकिन इसमें सफर कर रहे अंग्रेज अधिकारियों को ताजी खबरों के बारे में अपडेट किया जाता था। इसमें एक मशहूर समाचार एजेंसी के साथ टेलीग्राफिक न्यूज का विशेष प्रबंध होता था। ट्रेन में अंग्रेज अधिकारियों के लिए रेडियो की व्यवस्था थी।