नोटबंदी से प्रिंटिंग का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। बाजार में ¨प्र¨टग मशीनरी की मांग होने के बावजूद नोटबंदी के कारण मशीनरी बाजार में नहीं पहुंच पा रही है। ¨प्र¨टग क्षेत्र में अधिकांश कारोबार नगदी में होता है। इस कारोबार में लेनदेन का काम 60-40 के अनुपात में था। कारोबार से जुड़े लोग 60 फीसद नगदी का इस्तेमाल लेनदेन के लिए करते हैं, जबकि करीब 40 फीसद लोग ही चेक या अन्य माध्यम से लेनदेन करते हैं। नोटबंदी के बाद प्रिंटिंग कारोबार में मजदूरों की भी किल्लत झेलनी पड़ रही है। नगदी पर्याप्त न होने के कारण कारोबार काफी प्रभावित हुआ है। प्रिंट पैक इंडिया के कम्यूनिकेशन निदेशक सोम सपरू ने कहा कि इस वर्ष प्रदर्शनी से बाजार को काफी उम्मीदें हैं। वर्ष 2015 में लगे प्रदर्शनी में करीब 8500 विजिटर प्रदर्शनी का हिस्सा बने थे। वर्ष 2013 में महज सात हजार विजिटर ही प्रदर्शनी में पहुंच पाए थे। वहीं वर्ष 2013 में महज 345 प्रदर्शक व वर्ष 2015 में 411 प्रदर्शकों ने प्रदर्शनी में हिस्सा लिया था। इस वर्ष पहले ही दिन करीब दो हजार विजिटर के पंजीकरण होने से आयोजकों के चेहरे खिले हुए हैं। आयोजकों ने इस वर्ष प्रदर्शनी में करीब एक लाख विजिटर के आने की उम्मीद जताई है।