जिंदगी कमरें में कैद, अब घर आने की चिंता
सिटीवेब/अरविंद सिसौदिया।
नानौता। नानौता के गांव चैरा का रहने वाला वर्णिक चैधरी चीन के वुहान में रहकर एक वैक्सीन कंपनी मंे नौकरी कर रहा है लेकिन कोरोनावायरस के खौफ के चलते पिछले कुछ दिनों से कमरे में ही कैद होकर रह गया है। भारत आने के इंतजार में जहां वर्णिक परेशान है तो बूढे मां-बाप अपने बेटे के घर आने के इंतजार में हर रोज दरवाजे पर नजरे टकटकी लगाएं बैठे है। लेकिन अभी तक उसके चीन से बाहर निकलने की कोई आशा नजर नहीं आ रही है।
वर्णिक चैधरी ने फोन पर बताया कि वह पिछले 6 वर्षो से चीन के वुहान में ब्रावो वैक्स कंपनी लिमिटिड में रिसर्च सीनियर इंजीनियर के तौर पर नियुक्त है। जहंा पर वैक्सीन बनाने का काम होता है। चीन के वुहान शहर में कोरोनावायरस से लोग बूरी तरह से डरे हुए है। हर तरफ सन्नाटा है और दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं देता है। जिंदगी एक कमरे में सिमटकर रह गई है। कहीं भी आने-जाने की ज्यादा इजाजत नहीं है। कमरों की खिडकियां तक नहीं खोल सकते है। जिसके चलते अपने को खुलकर अपनी पीडा भी नहीं बता सकते है। चीनी सरकार ने साफ कह रखा है कि जब तक बहुत जरूरी न हो तब तक अपने घरों से निकले। जिसके चलते पूरे चीन में अफरा-तफरी का माहौल है। हम अपने कमरों में कैद है। 10 से 15 दिनों में एक बार के लिए पडौस के ही सुपर मार्केट में सामान खरीदने के लिए मास्क आदि लगाकर जा सकते है। उसके बाद फिर अपने कमरों में कैद होकर रह जाते है। सभी आॅफिस व दफ्तर पूरी तरह से बंद है। हालात यह है कि पडौसी भी एक दूसरे से बात करने व मिलने से कतरा रहे है। हांलाकि चीन सरकार ने अस्पताल से लेकर अन्य चीजों के बहुत अच्छे इंतजाम किए हुए है।
मोबाइल ही बना सहारा -
चीन के वुहान शहर में फंसे इंजीनियर वर्णिक घर में अकेले रहकर केवल मोबाइल ही अपने परिचितों व परिजनों से मिलने का एकमात्र सहारा रह गया है। मोबाइल पर ही हमकों वायरस से जुडी खबरें मिलने के साथ ही घर पर बात हो जाती है। होम डिलीवरी भी पूरी तरह से बंद हो चुकी है। बाजार में सामान भी महंगा मिलने लगा है। सीफूड पर पूरी तरह से पांबदी लगाई गई है।
भारत सरकार से मदद की उम्मीद -
वर्णिक के अनुसार अभी भी काफी भारतीय चीन में फंसे हुए है। लेकिन एंबेसी द्वारा अप्रुवल नहीं मिल पा रही है। पहले 12 फरवरी की फ्लाइट उनको बताई गई थी। लेकिन उसके बाद 20 फरवरी की बताई गई। लेकिन दोनो ही फ्लाइट नहीं जा पाई। अब उन्हें एंबेसी से जल्द ही एक- दो दिन में दूसरी तारीख फ्लाइट की मिलने की संभावना है। वर्णिक ने भारत सरकार से मदद मांगते हुए उन्हें चीन से अपने देश बुलाने की व्यवस्थ जल्द करने की मांग की है।
मां -बाप को हर पल बेटे का इंतजार -
वर्णिक के पिता नरेश चैधरी साधारण किसान है। जब उनसे बात की गई तो उन्होनें बताया कि बेटे से रोज रात को मोबाइल पर बात तो हो जाती है। लेकिन वहां फैली बीमारी के बाद उसकी मां व मेरा दिल बार-बार उसे देखने को कर रहा है। वर्णिक भी रोज कह देता है कि दो-चार दिन में आ पंहुच जाऊंगा, लेकिन ऐसा कहते हुए दो महीने से भी अधिक हो गए है। जिसके चलते हर पल उसके इंतजार में आंखे घर के दरवाजे पर टकटकी लगाएं रहती है। कि कब उनका बच्चा सकुशल घर लौट आएगा।
चीन में समुद्री जीव से मिला कोरोनावायरस -
कोरोनावायरस एक तरह की संक्रमित होने वाला वायरस है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के जरिए फैलता है। दुनिया के तमाम देशो में यह वायरस चीनी से आने वाले यात्रियों के जरिए ही पंहुच रहा है। इस वायरस के लक्षण निमोनिया की तरह होते है। यह वायरस कोरोनावायरस परिवार से संबध रखने वाले वायरस है। जो जानवरों में भी पाया जाता है। समुद्री जीव-जंतुओ के जरिए यह वायरस चीन के लोगों में फैला है। दक्षिण चीन समुद्र के आसपास रहने वाले लोगों को सबसे पहले इस वायरस ने अपनी चपेट में लिया, जिनमें वुहान शहर प्रमुख है। जहां काफी मात्रा में समुद्री जीव मिलते है, उनके द्वारा यह वायरस लोगों में फैला है।