एसएल कश्यप।
सहारनपुर। गंगा-जमुनी तहजीब की गंवाह सहारनपुर में तमाम ऐसे रंग देखने को मिल जाते हंै, जहां मजहब कोई भी हो, लेकिन मकसद सिर्फ आपसी सौहार्द को कायम रखना होता है। हिन्दू-मुस्लिम दंगे का दंश झेल चुके सहारनपुर में आज भी लोग एक दूसरे के त्योहारों में खुशी से शरीक होते हैं। एक दूसरे की मदद को आगे हाथ बटाते हैं। उनके लिए अयोध्या में राम मंदिर व मस्जिद का मुद्दा कोई मायने नहीं रखता। श्रीरामलीलाओं के दौरान कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। रामलीलाओं में जहां कई मुस्लिम कलाकार अपने अभिनय के मंचन से लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, वहीं विगत 30 साल से कारीगर मोहम्मद इंतजार सहारनपुर में विजयदशमी पर्व के लिए रावण व मेघनाथ का पुतला तैयार कर रहे हैं। उनकी कई पीढ़ियां यह काम पहले से ही करती आ रही है। उनके दादा भी यही काम करते थे। उनके पिताजी भी और आज वह खुद भी रावण बनाने का काम करते हैं। मूल रूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाले मोहम्मद इंतजार हर वर्ष सहारनपुर पहुंचकर अपनी पूरी मुस्लिम भाइयों की टीम के साथ रावण मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतले तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि इस काम से उन्हें बहुत खुशी मिलती है। मोहम्मद इंतजार का कहना है कि जो लोग जाति व समुदाय को देखकर कुछ भी बोलते है,ं उनसे हम लोगों को ही फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने इतना जरूर कहा कि जरूरत के हिसाब से उन्हें पैसा बहुत कम मिलता है। कमेटी वालों से कहो तो वे आर्थिक संसाधनों की कमी होने की बात करते हैं।