जितेंद्र कश्यप।
सहारनपुर। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा दिल्ली रोड स्थित साउथ सिटी में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन साध्वी सुश्री वैष्णवी भारती ने कहा कि जिस प्रकार मिठाई से मिठास और दुग्ध से घी निकाल लेने पर ये निरूसार तेजहीन हो जाते हैं। उसी प्रकार मानव के जीवन में संस्कार नहीं है तो वो भी तेजहीन हो जाता है। उन्होंने कहा कि संस्कारों के अभाव में ही युवा वर्ग पश्चिचमी सभ्यता का अंधानुकरण कर रहा है। फिल्मी सितारे, मॅाडल को उन्होंने जीवन का आदर्श बना लिया है। इनमें से किसी को इनका परिधान अच्छा लगता है तो किसी चाल ढाल। इससे चिंतन बदल सकता है चरित्र नहीं। जहां संस्कार है। वहां उच्च एवं श्रेष्ठ समाज की परिकल्पना साकार होती है। उन्होंने अनेक प्रसंग के माध्यम से भी उपस्थित लोगों को जीवन का सार समझाया।