औषधि विभाग ने मारा छापा, एक कमरे में क्लिनिक खोल कर रहा था जले मरीज का इलाज
पटना : पटना में इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़-सी आ गयी है. इनके पास न तो एमबीबीएस डिग्री होती है और न ही कोई अनुभव. इस तरह का ताजा मामला गुरुवार को औषधि विभाग की ओर से हुई छापेमारी में हुआ है.
पाटलिपुत्र स्टेशन के समीप एक कमरे में संचालित क्लिनिक की जानकारी औषधि विभाग को मिली, गुप्त सूचना के आधार पर ड्रग विभाग के कंट्रोलर रवींद्र कुमार सिन्हा के आदेश पर ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत के नेतृत्व में छापेमारी की गयी. इस दौरान मैट्रिक पास झोलाछाप डॉक्टर अजीत कुमार को गिरफ्तार किया गया़ उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया.
अजीत के पास न तो मेडिकल की डिग्री है और नहीं कोई अनुभव. क्लिनिक में जांच के दौरान लाखों रुपये की बिना लाइसेंस की दवाएं बरामद की गयीं, जिनमें हर मर्ज की दवाएं हैं. यहां सीरप, टेबलेट और अन्य दवाएं मिलीं. इसके साथ ही काफी संख्या में स्लाइन भी बरामद किये गये हैं.
अजीत मूल रूप से औरंगाबाद के महुआर हसपुरा का रहनेवाला है. इसके क्लिनिक में आसपास के ग्रामीण इलाके के लोग अपना इलाज कराने आते थे. अजीत उसे दवाएं भी देता था. बरामद दवाओं को जांच के लिए भेजा जायेगा. जिसके बाद यह स्पष्ट हो पायेगा कि यह असली है या नकली है. इतना ही नहीं वह बर्न मरीजों का खुलेआम इलाज भी करता था.
टीम ने जिस समय उसके क्लिनिक में छापेमारी की उस दौरान मंगल पासवान नाम के एक मरीज का इलाज कर रहा था. मंगल 60 प्रतिशत बर्न मरीज था. सर छोड़ उसके शरीर के आधा से अधिक हिस्सा जल चुका था. बड़ी बात तो यह है कि उसको 100 प्रतिशत ठीक करने की गारंटी देकर भरती किया गया था. उसके क्लिनिक से अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक दवाएं मिली है. औषधि विभाग ने उसके क्लिनिक को सील कर दिया है