सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिषाचार्यद्व ऋषि गोपाल जी ज्योति शिक्षा केंद्र गोतित राजेश पाल ने बताया कि आश्विन मास, शुक्ल पक्ष, दिन सोमवार, नवमी तिथि ,नक्षत्र उत्तराषाढा, योग सुकर्मा,करण कोलव, अग्निवास 12ः38 तक पृथ्वी पर उसके बाद आकाश में अभिजीत मुहूर्त 11ः44 से 12ः32 , राहुकाल 7ः44 से 9ः12 तक नवमी तिथि में नवरात्रे समाप्त होते हैं। इस दिन इस वर्ष में मां सरस्वती विसर्जन भी है सरस्वती विसर्जन का इस वर्ष शुभ मुहूर्त 17ः26 से 23ः59 तक का है (धर्म सिंधु के अनुसार सरस्वती विसर्जन श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण में किया जाता है। चाहे रात्रि में हो या दिन) नवमी तिथि को माता दुर्गा के अंतिम स्वरूप मां सिद्धिदात्री का पूजन का विधान है नवमी को कुछ भ्रांतियों के कारण व्रत नहीं करते सिद्धिदात्री देवी सभी प्रकार की सिद्धि देने वाली हैं। मां का शरीर चमकीला होता है इनकी चार भुजाएं हैं। दाएं ऊपर उठे हाथ में गदा नीचे वाले हाथ में चक्र उठे हाथ में कमल पुष्प नीचे वाले हाथ में शंख है। मां सिद्धिदात्री की शास्त्रों के अनुसार विधि विधान एवं पूर्ण निष्ठा के साथ पूजा करने से जो शक्ति मिलती हैं। वह इस लोक में नहीं है। मां का ध्यान ,स्मरण, पूजन इस संसार की समस्त क्षतिपूर्ति कराते हुए वास्तविक परम शांति देते हुए अमृत पद की ओर ले जाता है। सृष्टि में माता के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। माता के पास ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियां है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार आठ सिद्धियां जबकि मार्कंडेय पुराण में सिद्धियो की संख्या अट्ठारह बताई गई हैं। भगवान शिव ने भी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। जिसे आधा शरीर देवी का हुआ भगवान शिव का एक नाम अर्धनारीश्वर भी इसी कारण पड़ा मां को बैंगनी रंग पसंद है। अतः बैंगनी रंग के फूल वह बैंगनी वस्तुओं का दिन भोग लगाएं। सप्तशती का पाठ करें मां का आशीर्वाद ले। जो लोग अष्टमी को कन्या के बिठा रहे हैं । उनको नवमी को व्रत का परायण करना चाहिए और जो लोग नवमी को नौ कन्या वह एक बच्चे को भोजन व दक्षिणा कर रहे हैं। वो दशमी को परायण करें और मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।