एसएल कश्यप।
सहारनपुर। मोहर्रम की पहली तारीख को नगर के विभिन्न इमाम बारगाहों में देर रात हुई मजलिस में मुस्लिम धार्मिक विद्धानों ने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चचा जात भाई हजरत मुस्लिम अलैहिस्सलाम की शहादत का फलसफा बयान किया। मजलिसो में सबसे पहले ख्वाजा हसन मौहम्मद, डा. अमीर अब्बास, ख्वाजा रईस अब्बास, आसिफ अल्वी, इफ्तेखार हैदर, एसएम हुसैन जैदी, अथर अली जैदी ने मरसिया खानी की। इमाम बारगाह सामानियान में मौलाना रिजवान मारूफी, बड़ी इमाम बारगाह में मौलाना जमीर जाफरी व छोटी इमाम बारगाह में मौलाना तंजीम हुसैन ने खिताब फरमाया। शिया मुस्लिम विद्धानों ने बताया कि हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने नाना रसूले खुदा के बताये अहिन्सा के रास्ते पर चलकर दुनिया को दिखा दिया कि जुल्म के आगे मजलूमियत हमेशा से जीतती आयी है। इस्लाम में किसी की जान व माल को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं है। इस्लाम कहता है नेक बनो, जिससे तुममे एकता आये और जब तुम नेक होंगे तो तुममे कोई बुराई न रहेगी। मजलिस के आखिर में नोहा खानी की गयी। जिसमें अन्जुमने अकबरिया व अन्जुमने इमामिया ने नौहाखानी व सीजाजनी की।