-वर्ष 2019 में नानौता सीएचसी पर लडके 846 तो लडकियां 776 पैदा हुई
-अवैध डिलीवरी सेंटर व कुछ अल्ट्रासांउड सेंटर को माना जा रहा कारण
सिटीवेब/अरविंद सिसौदिया।
नानौता। नानौता ब्लाॅक में इस वर्ष भी आंगन में शहजादों की अपेक्षा कम परियां उतरी है। लेकिन लिंगानुपात सुधार को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बेटी बचाओं, बेटी पढाओं मुहिम के साथ सामाजिक जागरूकता सहित अन्य अभियान सफल परिणाम दे रहे है। जिसके चलते नानौता क्षेत्र का लिंगानुपात गत वर्ष में 710 से बढकर इस वर्ष 776 पर पंहुच गया है।
नानौता ब्लाॅक क्षेत्र के सामुदायिक केन्द्र पर वर्ष 2019 में करीब 1622 महिलाओं के प्रसव किए गए। जिसमें 846 लडके पैदा हुए तो वहीं इसके अनुपात में 776 लडकियां पैदा हुई। जबकि वर्ष 2018 में 870 लडके व 710 लडकियां पैदा हुई। इसे देखकर लगता है कि गत वर्ष के मुकाबले लडकियां पैदा होने का अनुपात तो बढा है। लेकिन उतना नहीं जितना सरकार प्रयास कर रही है। लोगों में सरकार की मुहिम का असर तो हुआ है लेकिन उतना नहीं रेस्पोंस नहीं मिल सका जितना सरकार को मिलना चाहिए था।
गैर मान्यता प्राप्त डिलीवरी सेंटर बडा कारण -
लडकियों की जन्मदर घटने के पीछे सबसे बडा कारण भ्रूण हत्या को माना जा रहा हैं। इस कार्य को जिले में चल रहे अवैध डिलीवरी सेंटर व चोरी छिपे कुछ अल्ट्रासाउंड सेंटर बढावा दे रहे है। शिकायत मिलने पर स्वास्थय विभाग समय-समय पर अवैध तरीके से चलाएं जा रहे डिलीवरी सेंटरों पर कारवाई करता रहता है। लेकिन बावजूद इसके डिलीवरी सेंटर व अल्ट्रासांउड सेंटर चलाएं जाते है। जिन पर कारवाई करने के लिए जिले के स्वास्थय उच्चाधिकारियों को शिकायत मिलने का इंतजार रहता है।
क्या बोले मुख्य स्वास्थय अधिकारी -
सीएमओ डा. बीएस सोढी ने बताया कि लिंगानुपात पर उनकी नजर लगातार बनी हुई है। शिकायत मिलने पर अवैध तरीके से चल रहे डिलीवरी सेंटर व अल्ट्रासांउड सेंटरों को सील किया जाएगा।