जदयू ने उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं लडऩे का फैसला किया है। मंगलवार को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए इस बात पर सहमति बनी।
पार्टी का मानना है कि जदयू अगर उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारेगा तो इससे धर्मनिरपेक्ष मतों का बंटवारा होगा, और इसका लाभ अंतत: भाजपा को पहुंचेगा। इससे पूर्व जदयू पंजाब में चुनाव नहीं लडऩे एवं किसी भी दल के पक्ष में प्रचार नहीं करने का फैसला कर चुकी है।
सूत्रों ने बताया कि संसाधन की कमी भी उत्तर प्रदेश चुनाव में भाग नहीं लेने का एक कारण है। इस मुद्दे पर भी बैठक में विस्तार से चर्चा हुई।
सोमवार देर रात तक चली कोर कमेटी की बैठक में भी उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर मंथन किया गया था। कोर कमेटी की बैठक मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार की रात फिर हुई। बैठक में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी, राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह, मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव एवं ललन सिंह मौजूद थे।
जदयू ने दल के विस्तार के निर्णय के तहत पिछले वर्ष ही उत्तर प्रदेश चुनाव में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने का फैसला लिया था। मगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच तालमेल के बाद बदली हुई राजनीतिक स्थिति को देखते हुए जदयू ने अब चुनाव नहीं लडऩे का निर्णय लिया है। कांग्रेस बिहार में जदयू का सहयोगी दल है, वहीं दूसरे सहयोगी दल राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद सपा के पक्ष में प्रचार करने की बात करते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर जदयू कितनी गंभीर थी इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नीतीश कुमार वहां छह प्रमंडलों-बनारस, मिर्जापुर, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ एवं गोरखपुर में सभाएं कर चुके थे। राष्ट्रीय लोक दल, जनता दल(सेक्युलर), राकांपा एवं बीएस-4 के साथ मिलकर उम्मीदवार उतारने की तैयारी थी।