नानौता। क म्प्यूटर व मोबाइल पर अधिक समय बिताना आंखो के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। इसका सबसे अधिक असर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों व युवाओं पर देखने को मिल रहा है। जो घंटों क म्प्यूटर पर चैटिंग व मोबाइल का प्रयोग करते हंै।
सरकारी व प्राईवेट अस्पतालों में जांच के लिए पंहुचने वाले लोगों में अधिकतर बच्चों व युवाओं की संख्या काफी अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार इसे लेकर अभिभावकों को सतर्क रहने की जरूरत है। छोटी सी उम्र से ही बच्चों को समय-समय पर नेत्र जांच कराते रहना जरूरी है।
क्या है कंप्यूटर सिंड्रोम
शहर के स्कूली बच्चों को यह परेशानी अधिकतर आ रही है। इनमें ग्लूकोमा, कैटरेवट, भेंगापन, डायबिटिक, रेटिनोपैथी व इंफेक्शन के मरीज तेजी से बढ रहे हंै। इनमें से अधिकांश 18 वर्ष की उम्र से कम आयु के मिलते हंै। जिसका कारण क म्प्यूटर व मोबाइल पर अधिक समय बिताते है। आजकल युवाओं को अधिकतर समय
कम्प्यूटर व मोबाइल पर ही बीतता है। वह घंटों फेसबुक व अन्य साइटों पर वक्त बिताते हैं। जो आंखों को थकाने वाला होता है। इसके अलावा फैमिली हिस्ट्री, विटामिन, प्रदूषण और खानपान भी इसके कारण माने जाते हंै।
क्या कहते हैं चिकित्सक
चिकित्सक डॉ. विरेन्द्र कुमार ने बताया कि आज कल छोटे बच्चों व युवाओं में ब्लैक बोर्ड साफ न दिखाई देना, धुंधला नजर आने की शिकायतें ज्यादा मिल रही है। इससे मरीज में जल्दी मोतियाबिंद, इंफेक्शन, विटामिन-ए और ट्रायकोमा होने की आशंका हो जाती है। इसके साथ ही रेटिना को नुकसान पंहुचता है। यदि बीमारी की पहचान समय पर हो जाएं, तो ग्लूकोमा के स्तर और लिपिड प्रोफाइल को नियंत्रण में रख सकते हैं।