सहारनपुर। देवबंद के ग्राम बास्तम में फसल अवशेष प्रबन्धन परियोजना के अंतर्गत एक दिवसीय ग्राम स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केंद्र प्रभारी डा. आईके कुशवाहा ने फसल अवशेषों के खेत में मिलाने की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों के खेत में मिलाने से केवल मृदा उर्वरता में ही सुधार नहीं होता बल्कि जीवांश बढ़ने से मृदा की जल धारण क्षमता भी बढ़ती है। डा. आईके कुशवाहा ने पर्यावरण प्रदूषण से बचने के लिए पराली न जलाने का आग्रह किसानों से किया। केंद्र के विज्ञानिक डा. प्रमोद कुमार ने फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना तथा जल शक्ति अभियान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने खेत में ही वर्षा जल संरक्षण करने के लिए प्रेरित किया। बताया कि ऐसा करने से फसल अवशेष प्रबंधन को लाभ मिलता है। डा. वीरेंद्र कुमार ने फसल अवशेष व मृदा उर्वरता के सह सम्बध के प्रति जागरूकता बढाई तथा हैप्पी स्पीडर, चॉपर, सीड ड्रिल आदि यंत्रों से खेत में ही फसल अवशेश प्रबंधन की जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में किसानों को सहजन, अमलताश, नीम आदि के पौधों का निःशुल्क वितरण किया गया। इस अवसर पर बृजभूषण त्यागी, दुष्यंत त्यागी, यशपाल सिंह, सुरेश कुमार, संदीप त्यागी, विपिन कुमार, उत्तम त्यागी, विजेंद्र कुमार आदि किसान मौजूद रहे।