सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिषाचार्यद्व ऋषि गोपाल जी ज्योति शिक्षा केंद्र गोतित राजेश पाल ने बताया कि गोतित पंचांग मास आश्विन, शुक्ल पक्ष, दिन शुक्रवार, नक्षत्र ज्येष्ठा ,योग सौभाग्य ,करण तैतिल, अग्निवास आकाश, अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 44 से 12 बजकर 32, षष्ठी तिथि नवरात्रों की षष्ठि तिथि ,मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी की आराधना की जाती है। महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या के फलस्वरूप उनकी पुत्री के रूप में माता कात्यायनी प्रकट हुई। एक दूसरा मत यह भी है। जब महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत बढ़ गया, तब उसके नाश हेतु ब्रह्मा, विष्णु, महेश से एक देवी रूप प्रकट हुआ। महर्षि कात्यायन ने सबसे पहले इनकी पूजा की इसलिए यह माता कात्यायनी कहलाई इनका रूप भव्य और दिव्य है। इनका रंग सोने जैसा है चार भुजा व तीन नेत्र है इनका वाहन सिंह है दाएं हाथ अभय मुद्रा एवं वर मुद्रा में है बाय हाथों में क्रमश तलवार एवं कमल शोभित है। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में केंद्रित होता है आज्ञा चक्र भौ के बीच का भाग है। इसे तीसरे नेत्र भी कहते हैं। साधक इस स्थिति में मां कात्यायनी में स्वयं को मन बुद्धि से पूर्णता समर्पित कर देता है। मां कल्याणी शीघ्र फल देती है। भगवान कृष्ण को पाने के लिए गोपियों ने ब्रज में इनकी पूजा की थी। शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में रहने वाले विद्यार्थियों को मां की पूजा करनी चाहिए और मां का आशीर्वाद ले। गोधूल बेला मैं पीले और लाल वस्त्र धारण करके उनकी पूजा करें। माता को पीली व पीला प्रसाद अर्पित कर शहद का भोग लगाएं, जो मां को अति प्रिय ह।ैं इनकी आराधना से अर्थ, कर्म, लाभ, मोक्ष चारों पुरुषार्थ आसानी से प्राप्त होते है।ं यदि विवाह से संबंधित अड़चने आ रही है हल्दी की गांठ अर्पित करें।