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गौरी माता की पूजा मध्यरात्रि की जाए तो होता है विशेष फलदायी

CityWeb News
Saturday, 05 October 2019 02:51 PM
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सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिषाचार्यद्व ऋषि गोपाल जी ज्योति शिक्षा केंद्र गोतित राजेश पाल ने बताया कि 6 अक्टूबर 2019 , दिन रविवार, संवत 2076 ,अश्विन मास ,शुक्ल पक्ष ,नक्षत्र पूर्वाषाढ़, योग अतिगंड, करण बव, बालव अग्निवास पाताल ,सुबह 10रू54 के बाद पृथ्वी पर ,राहुकाल 16 बजकर 32 से 18 बजकर 00 मिनट तक, अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 44 से 12 बजकर 32 मिनट तक सिद्धयोग 06ः16 से 10ः54 , अष्टमी तिथि , जिसे दुर्गाष्टमी भी कहते हैं आठवें नवरात्रि को मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की पूजा का विधान है। इनके शरीर का रंग शंख , चंद्रमा, कुंद के फूल जैसा गौरा है। शास्त्रों के अनुसार इनकी उम्र 8 वर्ष है। इनका लिवास एकदम सफेद इनके तीन नेत्र हैं। चार भुजाएं ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरु नीचे वाले हाथ वर मुद्रा में है दाएं उठे हाथ अभय मुद्रा में नीचे वाला हाथ में त्रिशूल है चेहरा शांत सोम्य है। देवी का वाहन बैल है देवी पुराण के अनुसार माता ने शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप देवी का रंग एकदम काला पड़ गया तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके शरीर को गंगा जल से धोया तब से उनका शरीर अत्यंत गौरा हो गया और देवी महागौरी नाम से प्रसिद्ध हुई शास्त्रों में यह है कि माता सीता ने भी श्री राम को पाने के लिए महागौरी की पूजा की थी अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट कर पीले वस्त्र धारण कर माता की पूजा करें। पूजा में सफेद या पीले या दोनों प्रकार के फूल वह सफेद मिठाई अर्पित करें। यदि गौरी माता की पूजा मध्य रात्रि में की जाए तो अच्छा परिणाम आता है। मां को नारियल चढ़ाएं। गोरी मां ममता की मूरत है। भक्तों की सब जरूरत पूरी करती हैं । इनकी उपासना से सभी कल्मष अर्थात पाप व मेल दूर हो जाते हैं और इसके अतिरिक्त पूर्व के संचित पाप भी मिट जाते हैं। भविष्य में पाप संताप दैन्य दुख उनके पास नहीं आते उपासक पवित्र व अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है। ज्योतिष के अनुसार महागौरी की पूजा करने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है। महाष्टमी का मुहूर्त ,अष्टमी- 11ः55 तक है शुभ मुहूर्त 10ः30 से 11ः18 तक अत्यंत शुभ है। इस दिन मां सरस्वती बलिदान भी होता है। मां सरस्वती बलिदान मुहूर्त 15ः41 से 18ः02 तक का है। मां की पूजा कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां का आशीर्वाद प्राप्त करें। अष्टमी और नवमी को कन्या को भोजन में दक्षिणा देने का भी विधान है।

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