देश में बेसिक शिक्षा की बात करें तो प्राथमिक स्कूल बच्चों की राह ताकते नजर आ रहे हैं आलम ये है कि बच्चों के अभाव में कई स्कूल बंद हो चुके हैं और कुछ बंद होने के कगार पर हैं। इस हालत में संकट सिर्फ बेसिक शिक्षा पर ही नहीं देश के लाखों गांवों के बच्चों के भविष्य का भी है।
प्राइमरी स्कूलों की दुर्दशा और पब्लिक स्कूलों के बाजारीकरण के दौर में समाज के उस निम्न तबके लिए ये बड़ा चिंता का विषय है कि वह कैसे कॉन्वेंट जैसे स्कूलों को मोटी फीस देकर देश के भविष्य को बेहतर शिक्षा का इंतजाम कर सके।
लेकिन यूपी के मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल का एक प्राइमरी स्कूल देश के महंगे पब्लिक कॉन्वेंट स्कूलों को चुनौती देने के साथ ही अन्य सरकारी विद्यालयों के लिए नजीर बन गया है।
उत्तरप्रदेश के शिक्षा विभाग ने इस स्कूल को प्रदेश के मॉडल स्कूल का दर्जा दिया है। 308 बच्चों की संख्या वाले इस प्राइमरी स्कूल में दाखिले के लिए पहले से ही लंबी लाइन लगी है।
शिक्षक कपिल का जुनून, स्कूल पर खर्च किए 12 लाख
पाकबड़ा क्षेत्र के गांव लोधीपुर राजपूत निवासी कपिल कुमार 3 अगस्त 2010 में जिला सम्भल के इटायला माफी प्राइमरी स्कूल में तैनात हुए। उस वक्त स्कूल में कुल 25 बच्चे थे। 14 जुलाई 2015 में कपिल को इसी स्कूल में प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी मिली।
जुनूनी कपिल ने अपने स्कूल को पब्लिक स्कूलों से बेहतर बनाने की ठान ली और अपने मिशन में जुट गए। अमर उजाला से बातचीत में कपिल कुमार मलिक ने बताया कि वे अब तक अपने खर्चे से 12 लाख खर्च कर चुके हैं।
कपिल ने बताया कि उनका प्रयास बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन के साथ बेहतर माहौल उपलब्ध कराना है और प्राइमरी स्कूलों की छवि को बदलना है।
बकौल कपिल स्कूल में हाइटेक कंप्यूटर लैब बनाई गई है। प्रोजेक्टर और थ्री डी पिक्चर्स से बच्चों को पढ़ाया जाता है। टीचर लर्निंग मैथड के जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है। दोपहर के बाद बच्चों को प्रैक्टिकल कराया जाता है।
स्कूल में बायोमेट्रिक सिस्टम से बच्चों की उपस्थिति होती है। स्कूल कैंपस में सुंदर हराभरा लॉन भी बनाया गया है। स्कूल में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। प्रत्येक क्लास में स्पीकर लगे हुए जिसके जरिए शिक्षक बच्चों से किसी भी क्लास से संपर्क कर सकते हैं। कपिल ने निजी स्कूलों की तर्ज पर अपने स्कूल के बच्चों को टाई-बेल्ड और आई कार्ड उपलब्ध कराया है।