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बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर स्वास्थ्य विभाग गंभीर

CityWeb News
Thursday, 19 December 2019 05:41 PM
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-सरकारी विद्यालयों में काउंसिलिंग करेगा विभाग
-सीएमओ ने बीएसए और डीआईओएस को लिखा पत्र
सिटीवेब/एसएल कश्यप।
सहारनपुर। बढ़ती आत्महत्या और अपराध के मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। इसके लिए विभाग विद्यालयों में बच्चों की काउंसिलिंग करेगा। इसके अलावा बाल सुधार गृहों में रह रहे किशोर-किशोरियों की भी काउंसिलिंग की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मनोरोग विशेषज्ञों को काउंसिलिंग के लिए भेजा जाएगा। स्कूलों में शिक्षक-शिक्षिकाओं को इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) को इस संबंध में पत्र लिखा है। पिछले दिनों वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुख्य सचिव ने मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों, संप्रेक्षण गृहों में रह रहे बच्चों की काउंसिलिंग किये जाने के आदेश दिए हैं। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत विद्यालयों में काउंसिलिंग के अलावा मनोरोग विशेषज्ञों के माध्यम से छात्र-छात्राओं का परीक्षण भी कराया जाएगा। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र लिखकर माइक्रोप्लान तैयार करने के लिए कहा है।
बाल गृहों में जाएंगे मनोरोग विशेषज्ञ
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. बीएस सोढ़ी ने बताया काउंसिलिंग और मानसिक परीक्षण कराए जाने का सेशन विद्यालयों के अलावा संप्रेक्षण गृहों, बाल आश्रयों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी चलाया जाएगा। सीएमओ का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम के जरिये छात्र-छात्राओं में आत्महत्या और अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति रोकने में मदद मिलेगी। इस कार्यक्रम के जरिये बच्चों को सही दिशा मिलेगी। अगर किसी बच्चे में ऐसी कोई भावना जन्म ले रही होगी तो उसे भी मनोरोग विशेषज्ञ समय पर ही समझ लेंगे और उसका समय पर समुचित इलाज किया जाएगा।
शिक्षकों को दी जाएगी ट्रेनिंग
सीएमओ ने बताया इसके लिए विभाग की ओर से हर विद्यालय से एक-एक शिक्षक और शिक्षिका को ट्रेंड किया जाएगा। इनकी जिम्मेदारी बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर नजर रखने की होगी। इसके अलावा प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को यह भी ध्यान रखना होगा कि किसी छात्र-छात्रा का प्रदर्शन अचानक गिर तो नहीं रहा है। यदि ऐसा होता है तो शिक्षक को उसकी काउंसिलिंग करनी होगी और जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य विभाग की मदद लेनी होगी।
किया जाएगा निरूशुल्क इलाज
डा. सोढ़ी ने बताया बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक से माइक्रोप्लान मिलने के साथ ही विभाग की टीम विद्यालयों में जाकर काउंसिलिंग शुरू कर देगी। इस टीम में मनोरोग विशेषज्ञ भी मौजूद रहेंगे जो बच्चों की काउंसिलिंग करेंगे। इसके साथ ही यदि किसी बच्चे को इलाज की जरूरत होगी तो विभाग उसका निरूशुल्क इलाज कराएगा। जरूरत के हिसाब से पुराना महिला अस्पताल स्थित मन कक्ष में बुलाकर बच्चों की काउंसिलिंग भी की जाएगी।

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