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बदलाव की ओर : छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव हारने के बावजूद मीमांशा ने पेश की मिसाल

CityWeb News
Wednesday, 11 October 2017 11:29 AM
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एमबीपीजी कॉलेज में हुए छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर ABVP के कुलदीप कुल्याल और NSUI की मीमांशा आर्य के बीच हुए मुकाबले में कुलदीप कुल्याल ने 597 वोटों से जीत हासिल की। कुलदीप को 2400 और मीमांशा आर्य को 1803 वोट पड़े।
मीमांशा भले ही ये चुनाव हार गई हो पर उन्होंने एमबीपीजी के साल के इतिहास मे़ अपना नाम अमिट कर दिया है। यहां अध्यक्ष पद पर पहली बार कोई दलित छात्रा खड़ी हुई थी। अपने अाक्रामक अंदाज और चुनाव प्रचार से उन्होंने विपक्षी खेमें की सांसे फूला दी थी। हाला़ंकि उनके चुनाव लड़ने को लेकर जमकर राजनीति हुई। यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हद्रयेश ने उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत पर मीमांशा का एडमिशन रद्द करवाने के लिए दवाब बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पहली बार कोई दलित लड़की हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज से चुनाव लड़ रही है और एक मंत्री को ये मंज़ूर नहीं है।
इन सबके बावजूद मीमांशा ने चुनाव मज़बूती से लड़ा और एनएसयूआई की तरफ से एबीवीपी को कड़ी टक्कर दी। गौरतलब है कि 1960 में एमबीपी कॉलेज की स्थापना हुई। यहां साल 1978 से छात्रसंघ की निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हुई थी। पहली बार किसी दलित छात्रा अध्यक्ष पद पर लड़ने का मौका मिला जिसे उसने बखूबी निभाया। मीमांशा वह प्रत्याशी साबित हुई जिन्होंने अपने प्रचार-प्रसार के दम पर इस पद को हॉट सीट बना दिया था। इस बात से साफ है कि कुमाऊं की युवा छात्राओं में भी लीड करने की क्षमता है और अगर मीमांशा की तरह संगठन छात्राओं को मौका देते रहे तो MBPG कॉलेज का इतिहास बदलता नज़र आ सकता हैं।

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