एसएल कश्यप।
सहारनपुर। आय बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मशरूम उत्पादन विषय पर पांच दिवसीय रोजगार परक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया गया। केवीके सभागार में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी एवं मशरूम विशेषज्ञ डाक्टर आई के कुशवाहा ने बताया कि सहारनपुर का वातावरण मशरुम उत्पादन के लिए उपयुक्त है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मशरूम उत्पादन हेतु ग्रामीणों में जागरूकता पैदा करने के कारण अपने जनपद को उत्तर प्रदेश में मशरूम जिला के रूप में पहचान बनी है। मशरूम उत्पादन सीजनल होने के कारण इसे टिकाऊ बाजार नहीं मिल पा रहा है। माह अक्टूबंर से मार्च तक सफेद बटन मशरूम का उत्पादन जो छोप छोपड़ी कमरे में की जा रही है । इनके प्रयोग होने वाला प्राश्चुराइज्ड कंपोस्ट जनपद में मदनकी ,खटका हेरी ,दूबर किशनपुर ,उत्तराखंड के रुड़की ,हरिद्वार ,हरियाणा के पानीपत, मुरथल, कुरुक्षेत्र ,हिमाचल प्रदेश के सोलन से आता है। जनपद में भी कंपोस्ट प्राश्चुराइज्ड टनल शॉर्ट मेथड से बनाई जाती है। इसमें मशरूम का उत्पादन 20 से 25 प्रतिशत तक होने से कृषि आय बढ़ती है। इस वर्ष नवयुवकों में मशरुम उत्पादन के लिए अधिक उत्साह दिखाई दे रहा है। वर्ष 2019 -20 में तीन से चार मशरुम उत्पादन यूनिट की स्थापना हो सकती है। इससे मशीन लगाकर अनुकूल तापमान एवं नमी देकर वर्षभर उत्पादन होगा। डॉ कुशवाहा ने बाजार एवं वैल्यू एडिशन पर और अधिक ध्यान देने की सलाह दी। आय में बढ़ोतरी के लिए वर्ष भर महिलाओं को भी जोड़ा जा रहा है। मशरुम उत्पादन करने से कृषि आय , भूमि भूमि उर्बरता उर्बरता,जैविक खेती, पशु स्वास्थ्य ,मनाओ मानव स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य ,सुध शुद्ध वातावरण वातावरण,भूमिसुधार ,फसल अवशेष प्रबंधन ,जल संरक्षण में बढ़ोत्तरी होती है। बताया कि जनपद में मशरूम में सफेद बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम ,मिल्की मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। उत्पादन विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए निम्नलिखित प्रयास किया जाए तो अपना जनपद देश में भी मशरूम जनपद बन सकता है। इस अवसर पर 48 युवक व युवतियों ने प्रशिक्षण में भाग लिया।