सहारनपुर।
रविवार को रिकार्ड उफान के बाद सोमवार को यमुना शांत दिखी। सोमवार सुबह यमुना का जलस्तर पौने 3 लाख क्यूसेक था जो शाम होते-होते और घटकर 1.44 लाख क्यूसेक हो गया था।
यमुना में ऐतिहासिक (8,28,322 क्यूसेक) बाढ़ आई जिसमें फसलों व जमीनों का बड़ा नुकसान हुआ। कई गांवों में जलभराव की समस्या रही तो लखनौती में नवनिर्मित्त अंतर्राज्जीय पुल की अपरोच रोड ही बह गई। ओवरआल देखें तो जानमाल का कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ और बाढ़ का पानी आसानी से जिला पार कर गया। लेकिन अब राजधानी दिल्ली की बारी है। दिल्ली में यह पानी आज रात या कल बुधवार तक पहुंचेगा जो भारी तबाही मचा सकता है। दरअसल पहाडी व मैदानी इलाकों में हुई भारी बारिश के चलते रविवार को यमुना में हथिनिकुंड बैराज से रिकार्ड 8.28 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया जो सौ साल का सर्वाधिक पानी (डिस्चार्ज) है। इसके दिल्ली तक पहुंचने में करीब 48 से 72 घंटे (दो से तीन दिन) का समय लगता है। इसी से आज रात या कल सुबह जब यह पानी दिल्ली में पहुंचेगा तो भारी नुकसान कर सकता है।
हालांकि दिल्ली सरकार ने इसे लेकर पहले ही अलर्ट कर दिया है और बाढ़ से निपटने पुख्ता तैयारियां कर ली है। हालांकि रविवार शाम के बाद से यमुना का जलस्तर घटत की ओर है तो मौसम भी कुछ साफ है जो बड़ी राहत की बात मानी जा रही है। नीचे के इलाकों व गावों में जलभराव व फसलों-जमीनों के नुकसान को छोड़ दें तो अच्छी बात यह भी कि जिले से यमुना का पानी ठीकठाक गुजर गया है। अधीक्षण अभियंता सिंचाई अवधेश सिंह ने बताया कि रविवार शाम हथिनिकुंड बैराज से यमुना में 8,28,322 क्यूसेक पानी छोडा गया था जो ठीकठाक जिले को पार कर गया है। कोई बडी दिक्कत नहीं आई है। लखनौती में नवनिर्मित्त पुल की हरियाणा साइड की अपरोच रोड जरूर इसमें बह गई है। नकुड़, सरसावा व बेहट क्षेत्र के नसरूल्लागढ़, ढिक्का, मंधौर, टाबर व अप्लाना आदि गांवों में जलभराव की समस्या है।