- नानौता सीएचसी पर नहीं है कोई महिला एंव प्रसूति रोग विशेषज्ञ
- पशुधन प्रमुख सचिव का औचक निरीक्षण निकला महज औपचारिक
सिटीवेब अरविंद सिसौदिया।
नानौता। पशुधन प्रमुख सचिव द्वारा नानौता सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र का औचक निरीक्षण महज औपचारिकता ही निकला। क्योंकि सीएचसी पर केवल दो स्टाॅफ नर्सो के भरोसे ही डिलीवरी व्यवस्था चल रही है। संसाधन एंव महिला चिकित्सक व शिशुरोग विशेषज्ञ के अभाव में विभागीय योजना कागजी साबित हो रही है।
सरकार द्वारा जच्चा-बच्चा मृत्यु पर अंकुश लगाने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई गई है। योजना के मुताबिक गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी नजदीकी प्राथमिक स्वास्थय केन्द्रो में करवाई जाएगी, ताकि पीडितों को तुंरत उपचार व सुविधा मिल सके। लेकिन संसाधानो व महिला चिकित्सकों के अभाव में ऐसा नहीं हो पा रहा है। नानौता सीएचसी के अंतर्गत 3 पीएचसी व 24 उपस्वास्थय सेंटर है। जिन पर नानौता ब्लाॅक के करीब एक लाख 98 हजार लोगों के स्वास्थय की जिम्मेदारी है। सब सेंटरों पर विभागीय एएनएम की नियुक्तियां की गई है। इनका कार्य गर्भवती औरतों को संभावित बीमारी तथा उपचारक जानकारी मुहैया कराना होता है।
मात्र दो स्टाॅफ नर्स के भरोसे जच्चा-बच्चा -
नानौता ब्लाॅक क्षेत्र की महिलाओं की डिलीवरी नगर की सीएचसी पर ही होती है। सीएचसी से संबधित तीन पीएचसी पर भी डिलीवरी की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। नानौता सीएचसी पर हर वर्ष करीब 1600 से अधिक डिलीवरी होती है। लेकिन ये सभी डिलीवरी दो स्टाॅफ नर्स के सहारे ही हो रही है। महिला चिकित्सक न होने के कारण महिलाएं असुरक्षित रहती हैं। इसके अलावा एक सिस्टर है वह भी छुट्टी पर चल रही है। वार्ड आया भी मात्र दो है। इसके अलावा केवल एक ही स्विपर है। हाईरिस्क केसो में तो विशेषज्ञों के अभाव में जिला अस्पताल रैफर किया जाता है।
पशुधन प्रमुख सचिव नहीं जान पाएं इन बातों को -
सोमवार की रात्रि पशुधन प्रमुख सचिव बीएल मीणा अचानक से नगर की सीएचसी पंहुचे और वहां की व्यवस्था की जांच कर संतुष्ट होकर चले गए। लेकिन महिला चिकित्सक, शिशु रोग विशेषज्ञ के साथ मात्र दो स्टाॅफ नर्स के साथ अन्य स्टाॅफ की कमी की कोई जानकारी न कर पाना प्रमुख सचिव का औचक निरीक्षण महज औपरचारिकतां मात्रभर रह गया।
क्या कहते है सीएचसी प्रभारी -
नानौता सीएचसी प्रभारी डा. अमित कुमार ने बताया कि नानौता सीएचसी पर सुविधा, स्टाॅफ का अभाव है। सीएचसी के महिला एंव प्रसूति केन्द्र पर महिला चिकित्सक नहीं है। जबकि प्रसव के दौरान महिला चिकित्सक का रहना जरूरी होता है। क्योंकि आपात स्थिती में जानलेवा खतरे की संभावना रहती है।