इंदौर (24 सितंबर): जहां एक तरफ हर कोई पैसा कमाने की होड़ में लगा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के दौरान में एक दंपति करोड़ों की प्रॉपर्टी और 2 साल 10 महीने की मासूम बच्ची को छोड़कर संन्यासी बन गए हैं।
मध्यप्रदेश में नीमच के व्यापारी सुमित और उनकी पत्नी अनामिका ने 23 सितंबर को सूरत में एक नई जिंदगी की शुरुआत कर दी, लेकिन इभ्या की नई जिंदगी तो 22 अगस्त को ही शुरू हो गया था। उस दिन सूरत में माता-पिता ने दीक्षा लेने का फैसला लिया था। अब उनका किसी से कोई रिश्ता नहीं होगा। इभ्या से भी नहीं। कोई नहीं जानता कि इभ्या उन्हें फिर कभी मिल पाएगी या नहीं।
शनिवार सुबह गुजरात के सूरत में जैनाचार्य रामलाल महाराज ने सुमित को भगवती दीक्षा दी। लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दखल के बाद सुमित की पत्नी अनामिका को दीक्षा नहीं दी जा सकी। दंपती के पौने तीन साल की बेटी इभ्या है। इस कारण आयोग ने मां को साध्वी की दीक्षा दिलाने से रोका है।
अनामिका की दीक्षा भले ही रुक गई, पर वो अभी भी फैसले पर अडिग है। उसने कहा कि वह दीक्षा होने तक वैराग्यकाल ही बिताएगी। अभी संघ और गुरु की मर्यादा के लिए उसकी दीक्षा रोकी गई। अनामिका की मौजूदगी में हुए सुमित के दीक्षा समारोह में दोनों परिवारों और संघ ने दोनों की दीक्षा के आज्ञा पत्र भी आचार्य को सौंपे। सुमित व अनामिका ने दीक्षा प्रतिज्ञा पत्र पढ़े।