नई दिल्ली (16 अक्टूबर): नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच इन दिनों तनाव इतना ज्यादा बढ़ा हुआ है कि कभी युद्ध की स्थिति आ सकती है। हालांकि युद्ध किसी के लिए भी बेहतर नहीं होता, क्योंकि दुनिया भर में ऐसी कई जगहें हैं, जो बमों से बर्बाद हो चुकी हैं।
परमाणु बमों के परीक्षण की होड़ सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद से ही शुरू हो गई थी। यह होड़ खासतौर पर अमेरिका और सोवियत यूनियन (अब रूस) के बीच लगी हुई थी। इसी सिलसिले में हम आपको रूस और उज्बेकिस्तान की बॉर्डर पर स्थित वोजरोझदेनिया आईलैंड एटमिक टेस्ट साइट के बारे में बता रहे हैं।
बमों की गर्मी से सूख गया समुद्र...
- शीत युद्ध के दौरान अमेरिका को दिखाने के लिए सोवियत यूनियन ने सैकड़ों एटमिक बमों का टेस्ट किया।
- इस दौरान उज्बेकिस्तान, रूस का ही हिस्सा था और रूस ने वोजरोझदेनिया आईलैंड को अपने सीक्रेट एटमिक टेस्ट साइट बना रखा था। इसका क्षेत्रफल करीब 4,000 स्क्वॉयर किमी है।
- विशाल क्षेत्रफल के चलते ही रूस ने इसका यूज अपने परमाणु बमों से लेकर कई तरह की मिसाइल टेस्ट के लिए किया। यहां लगातार 60-70 एटम बमों का टेस्ट किया गया।
- बमों के लगातार टेस्ट के चलते समुद्र का पानी सूखता चला गया और यहां की नदियों ने भी अपनी दिशा बदल ली थी। धीरे-धीरे यह जगह रेगिस्तान में बदल गई।
- जब सोवियत यूनियन का विघटन हुआ तो इसका आधा हिस्सा उज्बेकिस्तान के पास चला गया। उज्बेकिस्तान ने यहां से केमिकल कचरा हटाने की काफी कोशिश की, लेकिन रेडिएशन के चलते यह जगह रहने लायक नहीं बची थी।
- वहीं, रूस ने भी यहां से आर्मी हटा ली, लेकिन अब भी यहां आर्मी बेस और केमिकल फैक्ट्रियां मौजूद हैं, जो अब कबाड़ बन चुकी है। पोर्ट पर दर्जनों वॉरशिप भी देखी जा सकती हैं।