सिटीवेब/एसएल कश्यप।
सहारनपुर। महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रख्यात पत्रकार, महान समाज सुधारक और आर्य संयासी स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस पर आज यहां जनकनगर आर्य समाज द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह में चार दशक से अधिक की स्वस्थ और साहित्यिक पत्रकारिता के लिए साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र आजम को सम्मानित किया गया। संरक्षक डॉ. कर्णवीर सिंह व भूल्लन सिंह शर्मा, आर्य समाज के जिला प्रधान अनिल आर्य, उपप्रधान अवनीश आर्य, जनकनगर आर्य समाज प्रधान डॉ. अशोक आर्य व मंत्री नसीबसिंह वर्मा, मांगेराम आर्य, अरुण आर्य व कोमलसिंह आर्य आदि ने सम्मान स्वरुप शॉल व स्मृति चिह्न भेंट किए। इस अवसर पर वैदिक प्रवक्ता रणवीर शास्त्री व समाजसेवी सुधीर बेरी का भी शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ.वीरेन्द्र आजम ने स्वामी श्रद्धानंद के आजादी के आंदोलन और समाज सुधार आंदोलनों पर विस्तार से बताते हुए कहा कि दलितोद्धार की सबसे लंबी लड़ाई गैर दलित होते हुए भी स्वामी श्रद्धानंद द्वारा लड़ी गयी। उन्होंने न केवल अपने अखबार सद्धर्म प्रचारक और श्रद्धा के माध्यम से सोये हुए जनमानस को जगाया बल्कि 1920 के कांग्रेस अधिवेशन में भी इस विषय को रखने पर बल दिया, लेकिन कांग्रेस ने उनकी बात नहीं मानी। उन्होंने इसे कांग्रेस की बड़ी भूल बताया। बाद में नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में उनके ही प्रयासों से इस विषय को रखा गया। स्वामी श्रद्धानंद का स्पष्ट कथन था कि दलितोद्धार सामाजिक दृष्टि से ही नहीं राजनीतिक दृष्टि से भी आवश्यक है, हम अपने साढ़े छह करोड़ भाईयों को अलग रखकर आजादी की लड़ाई नहीं जीत सकते। वीरेन्द्र आजम ने स्वामी श्रद्धानंद को अपनी भावांजलि देते हुए कहा कि स्वामी श्रद्धानंद के आदर्श और सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। रणवीर शास्त्री व प्रियव्रत शास्त्री ने भी स्वामी श्रद्धानंद के जीवन के अनेक दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि आज के परिवेश में संतति को संस्कारवान बनाने के लिए स्वामी श्रद्धानंद के बताये रास्ते पर चलते हुए वैदिक शिक्षा को अपनाना पडे़गा। इससे पूर्व श्रीमती सुषमा व कु. शैली धीमान द्वारा अनेक भजन प्रस्तुत किये गए। समारोह का संचालन आर्य समाज जनक नगर के मंत्री नसीब सिंह वर्मा द्वारा किया गया। संरक्षक भुल्लन सिंह ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया।