सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिषाचार्य, ऋषि राजेश पाल बताते हैं कि 27 सितंबर 2019 दिन शुक्रवार संवत 2076 को चतुर्दशी सुबह 7 बजकर 32 से प्रारंभ हो रही है। इस तिथि के दिन अग्नि, शस्त्र विष, दुर्घटना या किसी सांप आदि के काटने से या आत्महत्या या किसी अन्य कारण से अकाल मृत्यु हो जाए तो उनका श्राद्ध किया जाता है। चतुर्दशी तिथि को एक खास बात यह है कि जिन की स्वभाविक मृत्यु चतुर्दशी तिथि के दिन हुई है उनका श्राद्ध त्रयोदशी या अमावस्य को किया जाता है। चतुर्दशी को उनका श्राद्ध नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार क्रुर्म पुराण में बताया गया है कि जो लोग चतुर्दशी पर स्वाभाविक मृत्यु वालों का श्राद्ध करते हैं। यह श्राद्ध संतान के लिए शुभ नहीं होता। इसके अलावा महाभारत में भी भीष्म पितामह युधिष्ठर को बताते हैं कि जिनके स्वाभाविक मृत्यु चतुर्दशी को हुई है उनका श्राद्ध चतुर्दशी पर नहीं करना चाहिए। नहीं तो परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। पार्वण श्राद्ध कुपत काल में करना चाहिए। चतुर्दशी का श्राद्ध करने का मुहूर्त 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक शुभ है। किसी विद्वान पंडित जी से पितरों के निमित्त दर्पण,दान आदि कराएं। पंचवली निकालें जिससे पित्र प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।