कलसी आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़ीं दिव्या रानी कुपोषण के खिलाफ लड़ रहीं जंग
सहारनपुर। बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की दिशा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने दिव्या रानी जी-जान से जुटी हुई हैं। विकासखंड गंगोह के कलसी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता दिव्या रानी अब अपने इलाके में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। वह लगातार अपने प्रयत्न से सरकारी योजनाओं को अमलीजामा पहना रही हैं। कुपोषित बच्चों को मानक के अनुरूप पुष्टाहार देकर उन्हें स्वस्थ बनाने में जुटी हैं। दिव्या ने अब तक एक दर्जन से ज्यादा कुपोषित बच्चों के जीवन में रंग भरने का सफल प्रयास किया है।
केस-1
गंगोह क्षेत्र की बंटी देवी पत्नी संजीव कुमार की पहली बेटी अविका जन्म के समय मात्र 1800 ग्राम की थी। वह दो साल पहले पैदा हुई थी। अविका घोर कुपोषण की शिकार थी। यह बात जैसे ही दिव्या को पता चली तो वह अविका के मां-बाप से मिलीं। चिकित्सकों को दिखवाया। दिव्या रानी प्रतिदिन उनके घर का भ्रमण पर जाती रहीं। उन्होंने बच्ची को अतिरिक्त गर्माहट, अतिरिक्त स्तनपान तथा अतिरिक्त साफ- सफाई में रखने की सलाह दी। इसका नतीजा सामने आया। बंटी की बेटी अविका धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी और उसका वजन भी बढ़ने लगा। अब अविका सामान्य श्रेणी में आ गई। दरअसल, स्वास्थ्य पर्यवेक्षक द्वारा भी नियमित रूप से अविका का ध्यान रखा गया। उसका नियमित टीकाकरण किया गया।
केस-2
गंगोह क्षेत्र के ही कलसी के करीब एक गांव में आयशा का जन्म तीन वर्ष पहले हुआ था। आयशा के पिता मजदूरी करते हैं। आयशा की मां रिहाना खुद भी कुपोषित थीं। ऐसे में आयशा का जन्म के समय वजन 2100 ग्राम था। वह अति कुपोषण की शिकार थी। रिहाना एनीमिक थीं, लिहाजा उनके गर्भ में पल रही बच्ची भी कुपोषण का शिकार हो गई। खैर, दिव्या रानी ने विभाग की ओर से दिए जाने वाले पोषाहार के व्यंजन बनाकर रिहाना को लगातार खिलवाये। घर का प्रतिदिन भ्रमण किया। मां बेटी दोनों का विशेष ध्यान रखा। मां के साथ-साथ अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। मुख्य सेविका रेखा कौशिक द्वारा भी उक्त केंद्र का नियमित भ्रमण किया गया तथा दिव्या रानी को सलाह दी गई कि वह प्रतिदिन इस परिवार का भ्रमण करें ताकि अति गंभीर बच्ची कुपोषण से बाहर आ सके। दिव्या ने मुख्य सेविका की ओर से बताए गए निर्देशों के क्रम में उक्त परिवार का विशेष ध्यान रखा।
मैं अपने कर्तव्य के प्रति पूरी निष्ठा रखती हूं। मैंने केंद्र से जुड़े कई गांवों में भ्रमण कर अब तक एक दर्जन बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाई है।
-दिव्या रानी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, कलसी केंद्र।
जनपद भर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को समय-समय पर दक्ष किया गया है। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए उनको निर्देशित किया गया है। सहारनपुर में कुपोषण की काली छाया को जड़ से मिटाने का लक्ष्य है। इस दिशा में प्रयत्न जारी हैं।
-श्रीमती आशा त्रिपाठी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, सहारनपुर।