एसएल कश्यप।
सहारनपुर। जनपद में डिप्थीरिया के मामले कम हुए हैं। इसी को देखते हुए सूबे के 17 जनपदों में 15 अक्टूबर से चलाए जा रहे अभियान में सहारनपुर शामिल नहीं है, लेकिन एहतियात के तौर पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें निगरानी कर रही हैं। अगर कहीं भी कोई केस पाया जाता है तो वहां संबंधित बच्चे अथवा गर्भवती महिला का तुरंत टीकाकरण किया जाएगा।
डिप्थीरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग सजग है। सूबे के 17 जनपद, जहां डिप्थीरिया के मामले मिले हैं, वहां अब छूटे बच्चों को डीपीटी और टीडी ( टिटेनस, डिप्थीरिया) का टीका लगाया जाएगा। इसके लिए 15 अक्टूबर से अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि, सहारनपुर इस श्रेणी में नहीं है। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ बीएस सोढ़ी ने बताया - अन्य जिलों में 15 से 25 अक्टूबर तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। लेकिन, सहारनपुर में एहतियात के तौर पर देखा जाएगा कि कहीं डिप्थीरिया के मामले हैं तो नहीं। इस दरम्यान अगर केस मिला तो 10 से 16 साल तक के लड़के और लड़कियों को टीडी का टीका लगाया जाएगा। जबकि डेढ़ से दो वर्ष और पांच से छह साल के बीच के बच्चों को डीपीटी का टीका लगाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास रहा है कि जनपद में एक भी बच्चा बिना टीकाकरण के न रहे। इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डाक्टर सुनील वर्मा ने बताया कि डिप्थीरिया के मामले लगभग नहीं हैं। उधर, सीएमओ ने जनपद के लोगों से अपील की है कि जिनके बच्चों को डिप्थीरिया का टीका न लगा हो, वह नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर टीका अवश्य लगवा लें। जनपद के सभी आठ विकास खंड क्षेत्रों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया - दो-दो टीमों को स्कूलों में भेजा गया था। एएनम को भी जिम्मेदारी दी गई थी कि वह घर-घर जाकर टीकाकरण करें। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता का अभाव है। इसलिए वहां खास निगरानी रखी गई थी। डॉ॰ वर्मा ने बताया- डीपीटी का पहला टीका बच्चे को 18 से 24 माह की आयु के बीच लगाया जाता है। जबकि दूसरा टीका 5 से छह वर्ष की आयु के बीच लगाया जाता है। इसके अलावा सभी लड़के और लड़कियों को 10 साल की आयु और 16 वर्ष की आयु पर ये टीका दिया जाना आवश्यक है। डिप्थीरिया पर काबू पाने के लिए टीडी का टीका गर्भवती महिलाओं को भी लगाया जाता है। गर्भवती महिलाओं को पहला टीका तीन माह का गर्भ होने पर दिया जाता है और दूसरा उसके एक माह बाद दिया जाता है।
क्या है डिप्थीरिया
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि डिप्थीरिया नाक और गले का एक गंभीर संक्रामक रोग है। इसे टीके द्वारा आसानी से रोका जा सकता है। इस संक्रमण से एक मोटी मटमैले रंग की पर्त गले में बन जाती है जो सांस लेने में मुश्किल पैदा कर देती है। इससे कई बार मौत तक हो जाती है। यह संक्रमण मुंह के स्लाइवा, खांसने से फैलता है। यह संक्रमण बच्चों में एक दूसरे की पेंसिल आदि मुंह में लेने से फैलता है। डिप्थीरिया होने पर एंटी बायोटिक्स और एंटीटाक्सिन दिया जाता है। उन्होंने बताया कि दो से दस वर्ष तक के बच्चों को यह संक्रमण जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है। यह संक्रमण कोराइन वैक्टीरियम डिप्थीरी नामक जीवाणु से होता है।