-सहारनपुर जिले में साइबर ठगों की बढ रही घटनाएं, लोग फंस रहे इनके जाल में
सिटीवेब/अरविंद सिसौदिया।
नानौता। जिलेभर में अब हर रोज लोग आॅनलाइन ठगी के शिकार हो रहे है। किसी के बैंक खाते से आॅनलाइन ट्रांजेक्शन हो रही है तो किसी को ओएलएक्स पर आॅनलाइन ठगा जा रहा है। लेकिन अब ठगों ने आॅनलाइन ठगी का दूसरा रास्ता ढूंढ निकाला है। ठग अब लोगों की आईडी हैक कर उसके परिचितों व रिश्तेदारों से बीमार या मुसीबत में बताकर रूपए अपने खातों में मंगवा रहे है। ऐसी ही दो अलग-अलग मामले नानौता में प्रकाश में आए है। जहां पीडित के परिचितों से गुगल पे के माध्यम से पैसे मंगवाकर ठगी के शिकार हुए है। दोनों पीडितों ने इस मामले मंे थाने में तहरीर देकर कारवाई की मांग की है।
पहला मामला- नगर के मुहल्ला शेखजादगान निवासी अमित कुमार ने बताया कि अज्ञात युवक (ठग) द्वारा उसकी फेसबुक आईडी हैक कर ली गई है। उक्त शातिर ठग अब उसके परिचितों व रिश्तेदारों से मेरे नाम से बीमार या बाहर मुसीबत में बताकर मैसेज भेज रहा है। जिसमें वह लिख रहा है कि उसकी सहायता कीजिए वह बहुत मुसीबत में है। उसे गुगलपे या फोनपे द्वारा 10 हजार रूपए तुंरत दे दीजिए। एक दो दिन में ही वह उक्त रकम को लौटा देगा। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति गुगलपे या फोनपे न होने की बात कहता है तो वह बैंक का अकाउंट नंबर भी भेज रहा है। जिस बैंक अकाउंट पर वह किसी और का नाम दे रहा है। यदि उससे पूछा जा रहा है कि उसका अकांउट नंबर कहां है तो वह कह रहा है जो नाम आपके पास दिया गया है उसी दोस्त को बडी जरूरी यह रकम देनी है। पीडित अमित ने बताया कि उसके परिचित धीरसिंह पुत्र भंवर सिंह ने फोनपे से ठग को 10 हजार की रकम ट्रांसफर कर दी है। पीडित अमित ने इस मामले मंे एक लिखित शिकायत थाना पुलिस को देकर कारवाई की मांग की है।
दूसरा मामला- नानौता क्षेत्र की युवती उमा देवी गांव याहियापुर में शिक्षा मित्र थी। कुछ वर्ष पूर्व उनकी शादी देवबंद क्षेत्र के भायला कुरडी में हो गई। वहीं पर उनकी नियुक्ति चल रही है। जबकि उनका सरकारी बैंक खाता नानौता एसबीआई में ही है। जिसमें सैलरी आती है। मंगलवार को उनके व्हाट्ासएप नंबर पर एक अजनबी नंबर से एक लिंक आया। जिसमें कहा गया कि इसको क्लिक कर जानकारी दीजिए। जिस पर उनके द्वारा जानकारी देते हुए ओटीपी भी दे दिया गया। जिसके बाद गुगल पे के माध्यम से ठग ने पूरे 95 हजार रूपए की नकदी साफ कर दी। पीडित शिक्षा मित्र उमा देवी ने इस मामले में थाने पर तहरीर देकर कारवाई की मांग की है।
पुलिस दर्ज ही नहीं करती मामले -
आॅनलाइन ठगी के मामले पुलिस अधिकतर थानों में दर्ज ही नहीं करती। यदि इक्का-दुक्का दर्ज कर भी ले तो पुराने ढर्रे के अनुसार आईपीसी की धारा 379 व 420 के तहत ही केस दर्ज किया जाता है। पुलिस इस दौरान आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने से गुरेज करती है। इसका कारण आईटीएक्ट लगने पर आईओ का टाइटल इंस्पेक्टर का हो जाता है। जबकि इंस्पेक्टरों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। पुलिस जांच का ट्रेंड पुराना होने के कारण आॅनलाइन फ्राड के मामले सुलझ ही नहीं पाते है। जिससे आॅनलाइन ठगी करने वाले पुलिस गिरफ्त से बचे ही रहते है।
वर्ष 2000 में बना था आईटी एक्ट -
एडवोकेट राजकुमार सिंह ने बताया कि साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2000 में केन्द्र सरकार ने सूचना एंव प्रौद्योगिकी अधिनियम बनाया था। इस कानून में 90 धाराएं है। जिसमे इंटरनेट व कंप्यूटर आधारित क्राइम के लिए अलग से सेक्शन व सजा का प्रावधान किया गया था। नियम यह है कि साइबर या आॅनलाइन क्राइम के मामले में पुलिस आईपीसी की धारा के साथ आईटी एक्ट की धाराएं भी लगाएगी। लेकिन ऐसा नहीं किया जाता। इसका कारण आईटीएक्ट लगने से आईओ के इंस्पेक्टर स्तर का होना जरूरी है।
क्षेत्र में किस-किस की आईडी हैक हो चुकी -
नानौता क्षेत्र के गांव खुडाना निवासी गौतम राणा, नगरनिवासी श्यामसिंह, इंजीनियर सुभान, अमित कुमार आदि कई लोगों की अभी तक आईडी हैक कर उनके दोस्तों व रिश्तेदारों से रूपयों की डिमांड की जा रही है।
नानौता थाने पर मात्र दो मामले दर्ज -
आॅनलाइन ठगी के नानौता थाने में मात्र दो ही मामले दर्ज है। जबकि पूरे वर्ष में करीब दो दर्जन से अधिक शिकायतें थाने पर पंहुची है। ऐसा नहीं है कि यह हाल केवल एक ही थाने का हो बल्कि जिलेभर के थानों का ऐसा ही हाल है। जहां अधिकांश शिकायतें थाने पंहुचती जरूर है लेकिन दर्ज नहीं हो पाती है।
इस तरह हासिल करते है नंबर -
लोन व इंश्योरेंस वाली कंपनियों द्वारा किए गए डाटा शेयर करने करती रहती है। इसके अलावा लोग सोशल साइटो पर भी अपने मोबाइल नंबर व डेट आॅफ बर्थ आदि की जानकारी डाले रखते है। साइबर ठग इन्हीं सोशल साइटो और प्राइवेट कंपनियों से नंबर एकत्र कर काॅल करते है। पुलिस अधिकारी के मुताबिक लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले ठग अधिकतर बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ, राजस्थान, तमिलनाडु और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बैठकर आॅनलाइन अकाउंट से पैसे उडा रहे है।
गृह मंत्रालय ने बनाया साइबर क्राइम पोर्टल -
पुलिस सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय भारत सरकार ने नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल लांच किया है। इसके माध्यम से भी ठगी के लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। पोर्टल पर आने वाली शिकायतों को संबधित राज्यों की पुलिस को भेजकर उससे जांच कराई जा सकती है।