सहारनपुर। पिछले दिनों असुरक्षित वाहनों के द्वारा स्कूली बच्चों को ले जाने से हुई दुर्घटनाओं से चिंतित सरकार तथा परिवहन विभाग की पहल पर स्कूलों में इसके प्रति जागरूकता लाने की अच्छी शुरुआत स्थानीय नेशन बिल्डर्स अकेडमी में देखने को मिली। यहां विद्यालय प्रशासन, विषय विशेषज्ञों व शिक्षकों की ओर से बच्चों के घर से विद्यालय तक सुरक्षित आने और जाने को लेकर खुली चर्चा हुई। इसमंे अभिभावक प्रतिनिधि व कर अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सदारंग सपरा ने कहा की छोटी कक्षाओं के बच्चों को अपने घर के आस-पास के विद्यालयों में ही भेजा जाना चाहिए। इससे बच्चों की सुरक्षा व समय की बचत दोनों का ही लाभ है। अभिभावक एन के शर्मा ने इस बात पर खुशी जताई कि नेशन बिल्डर्स एकेडमी में बच्चों के स्वास्थ्य की दृष्टि से उनके खान पान व दिनचर्या का ध्यान रखने के साथ-साथ उन्हें पैदल चलने या साइकिल से स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जाता है इसीलिए स्कूल ने अपना कोई वाहन भी नहीं बनाया है। सेवानिवृत्त पुलिस निरीक्षक हरनारायण सिंह राणा ने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे निजी स्तर से भी यदि ऑटो या रिक्शा से बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो उन्हें अपने बच्चों के हित में यह संतुष्टि जरूर कर लेनी चाहिए कि वाहन में निर्धारित संख्या से अधिक बच्चे ना बैठाया जाए, रिक्शा के साइज से बाहर निकलते हुए कोई सीट न रखी जाए और उसके साइज से बाहर बैग्स वगैरा न लटकाए जाएं। ऐसा न करने से रिक्शा में बैठे हुए बच्चे भी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। ऑटो से स्कूल आने की दशा में अभिभावक यह पुष्टि कर ले कि चालक के पास वाहन चलाने का लाइसेंस भी है या नहीं, वाहन बिना परमिट वाला न हो और वाहन गैस सिलेंडर आदि से न चलाया जाता हो। उन्होंने कहा कि बच्चों को सिर्फ ऑटो चालक के भरोसे न छोड़ दें बल्कि माता पिता स्वयं भी उन्हें इस बात के लिए प्रशिक्षित करें की चलती गाड़ी से हाथ पैर बाहर ना निकालें और वाहन पूरी तरह रुकने के बाद ही उतरे वह सड़क अपने दाएं व बाएं तरफ देखने के बाद ही पार करें। कार्यक्रम में मौजूद मुख्य भारतयोग प्रशिक्षका अनीता शर्मा ने बच्चों को देश की दौलत बताते हुए कहा कि उनका जीवन अमूल्य हैं और यह चिंता की बात है कि हमारी लापरवाही से सही वाहन की व्यवस्था न होने के कारण अनेक बच्चों की जान गवां बैठते हैं। इस अवसर पर उपस्थित अभिभावकों व अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रिंसिपल इष्ट शर्मा ने कहा कि अभिभावक बच्चों को स्कूटी ऑटो या वैन से स्कूल भेजने को स्टेटस सिंबल न बनाएं बल्कि सेहत व सुरक्षा की दृष्टि से छोटे बच्चों को स्वयं स्कूल छोड़ने वे लेने आयें और बड़े बच्चों को पैदल या साइकिल चलाने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि ऐसा न करने से नई पीढ़ी मैं मोटापा बढ़ने, स्टैमिना की कमी व छोटी उम्र में ही डायबिटीज जैसी बीमारियों के लक्षण आ जाते हैं जबकि पैदल या साइकिल पर चलने से सेहत ठीक रहने के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण करने में भी सहयोग मिलेगा।