नयी दिल्ली : भारत में अब बुलेट ट्रेन सपना नहीं हकीकत होगी. जापान की बुलेट ट्रेन की कहानी किताबों में पढ़कर बड़ी हुई पीढ़ी को अब 2022 तक बुलेट ट्रेन चढ़ने का मौका मिलेगा. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कल मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि 15 अगस्त 2022 तक बुलेट ट्रेन देश में दौ़ड़ने लगेगी. पहली बार जापान ने 1964 में बुलेट ट्रेन तैयार की थी. तब से बुलेट ट्रेन स्पीड का पर्याय माना जाने लगा. 1950 में जापान की राजधानी टोक्यो में चार करोड़ पचास लाख लोग रहा करते थे. बढ़ती आबादी और उससे पैदा होने वाले सड़क जाम की स्थिति को देखते हुए जापान सरकार ने हाई स्पीड रेल सर्विस के बारे में सोचना शुरू किया.
दुनिया के जिन देशों में हाई स्पीड ट्रेन चलती हैं, उनमें आस्ट्रिया, बेल्जियम, चाइना, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, ताइवान, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और उजेबकिस्तान शामिल हैं. दुनिया भर में सबसे ज्यादा हाइ स्पीड ट्रैक का नेटवर्क चीन के पास है. चीन के पास 22,000 किलोमीटर लंबी हाइस्पीड रेलवे ट्रैक है. दुनिया में सबसे तेज बुलेट ट्रेन चीन में चलायी जाती है. करीब 350 किमी प्रति घंटा से दौड़ने वाली रेल 1250 किमी की यात्रा साढ़े चार घंटे में ही पूरी कर लेती है. भारत में इतनी दूरी जम्मू से भोपाल के बराबर है.
भारत के बुलेट ट्रेन में क्या होगा खास
भारत में चलने वाली बुलेट ट्रेन की अधिकतम गति सीमा 350 किलोमीटर होगी. यह प्रोजेक्ट पांच साल में तैयार होगा. बताया जा रहा है कि इसमें कुल खर्च एक लाख दस करोड़ रुपये हैं. इस महंगे प्रोजेक्ट के लिए जापान भारत को 88,000 करोड़ रुपये का कर्ज दे रहा है. 0.1 प्रतिशत के ब्याज से दिये जाने वाले इस कर्ज को लौटाने की समय सीमा 50 वर्ष तय की गयी है. इस परियोजना के लिए हर साल 20,000 करोड़ रुपये का खर्च होगा. हर दिन 36,000 लोग बुलेट ट्रेन से यात्रा कर पायेंगे. 2053 तक यह क्षमता बढ़कर 1,86,000 हो जायेगी. भविष्य में 16 कारें इंजिन बुलेट ट्रेन चलेगी. बताया जा रहा है कि हर दिन एक तरफ से 35 ट्रेनें चलेगी.
रूट
बुलेट ट्रेन की रूट साबरमती रेलवे स्टेशन से लेकर मुंबई - बांद्रा - कुर्ला कॉम्पलेक्स तक रखी गयी है. जिसकी कुल लंबाई 508 किलोमीटर है. फिलहाल ट्रेन चार स्टेशनों पर रूकेगी और दो घंटे सात मिनट में अहमदाबाद की दूरी तय कर लेगी. आगे चलकर 12 स्टेशन निर्धारित किये गये हैं. बांद्रा कुर्ला, ठाणे, विरार, सूरत, बड़ोदरा, भरूच, अहमदाबाद और साबरमती स्टेशन पर रूकेगी. पूरे ट्रैक का 96 प्रतिशत यानी 468 किमी एलिवेटिड ट्रैक होगा. 6 प्रतिशत ट्रैक जमीन के अंदर सुरंग में होगी. 2 प्रतिशत यानी12 किमी ट्रैक जमीन पर होगा.
प्रोजेक्ट के क्या हैं फायदे
भारत में ट्रेन की औसत स्पीड अन्य देशों के मुकाबले बेहद कम है. इस लिहाज से देखा जाये तो पहली बार भारतीय रेलवे को स्पीड टेक्नोलॉजी हासिल होगी. सड़क या पारंपरिक माध्यमों की लिहाज से 70 प्रतिशत समय बचत होगी. मुंबई और अहमदाबाद की दूरी तय करने में 8 घंटे लगते हैं, जो घटकर दो घंटे हो जायेगी. 4,000 कर्मचारियों की ट्रेनिंग के लिए बड़ोदरा में हाई स्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट की स्थापना की गयी है. इस प्रोजेक्ट से 16,000 अप्रत्यक्ष रोजगार की संभावना है. परिचालन शुरू होते ही रेलवे के रखरखाव व ऑपरेशन के 4000 कर्मचारियों की जरूरत होगी. वहीं 20,000 कंस्ट्रक्शन वर्कर की जरूरत होगी.